मनीभाई नवरत्न के भक्ति गीत

मनीभाई नवरत्न के भक्ति गीत

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manibhai navratna

भक्ति है जिनके रगों में

भक्ति है जिनके रगों में, आये तेरे दर पे।
आशीष दे ओ मंइया …..छाया दे नजर पे।
माँ की ज्योति जले जिस घर
गम का अंधियारा दूर हो ।
कष्ट संकट दूर हो, कोई ना मजबूर हो।
सुख शांति फले फूले ।
तू चाहे तो सब मंजूर हो।
कष्ट संकट दूर हो, कोई ना मजबूर हो।
बड़ी शक्ति है माँ तेरी आँखों में।।
बिगड़ी बना दे मां तेरी हाथों में।।
जग में पावन तेरा नाम… ओ मंइया
तेरा नाम बसे अब तो जयकारो में।
जिसने मांगी तेरी भक्ति
चेहरे में चमक और नैनों में नूर हो।
कष्ट संकट दूर हो, कोई ना मजबूर हो।
तेरी भक्ति है मां, मेरी सांसों में ।
मैंने दिन बिताये मां उपवासों में।
हाथों में लिये पूजा थाल …ओ मंइया
रात गुजारे मैंने तेरे जगरातों में।
जिसने मांगी तुझे सद्भाव से
उनकी मनोकामना पूरी जरूर हो।
कष्ट संकट दूर हो, कोई ना मजबूर हो।

✍मनीभाई”नवरत्न”

मनीभाई नवरत्न

यह काव्य रचना छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के बसना ब्लाक क्षेत्र के मनीभाई नवरत्न द्वारा रचित है। अभी आप कई ब्लॉग पर लेखन कर रहे हैं। आप कविता बहार के संस्थापक और संचालक भी है । अभी आप कविता बहार पब्लिकेशन में संपादन और पृष्ठीय साजसज्जा का दायित्व भी निभा रहे हैं । हाइकु मञ्जूषा, हाइकु की सुगंध ,छत्तीसगढ़ सम्पूर्ण दर्शन , चारू चिन्मय चोका आदि पुस्तकों में रचना प्रकाशित हो चुकी हैं।

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