महात्मा गाँधी पर दोहे
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सत्य धरम की राह पर,चलकर हुए महान।
भारत आज स्वतंत्र है,पा जिनका अवदान।।
परम अहिंसा धर्म का,बनकर नित ही भक्त।
राग द्वेष छल दंभ का ,बने नही आशक्त।।
जीवन में पहने सदा , खादी का परिधान।
मान स्वदेशी को दिया,रच दी परम विधान।।
जीवन भर करते रहे,अपनों पर उपकार।
परिस्थिति जो भी मिली,नहीं मनाया हार।।
जिनकी पावन सोच थी, स्वच्छ रहे परिवेश।
कोहिनूर सुरभित हुआ,राष्ट्रपिता से देश।।
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रचनाकार-डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभावना,बलौदाबाजार(छ.ग.)