न करना कृष्ण सी यारी- बाबू लाल शर्मा “बौहरा”

August First Sunday World Friendship Day

न करना कृष्ण सी यारी



न करना कृष्ण सी यारी,
सुदामा को न तड़पाना,
खिलौने आप मिट्टी के,
उसी मे खाक मिल जाना।

दोस्ती करना सखे तो ,राम या सुग्रीव सी,
जरूरते पूरी भली हो ,बात यह सब जानते।
दोस्ती करनी तो हीरे से, या सोने से,
मिट्टी से करें यारी,अपने ही पसीने से।

जो टूट कर भी दूर न हो अपने सीने से कभी,
करो यारी सदा प्यारे उस उत्तम से नगीने से।

मिले गर कर्ण सा याराँ, तो सीने से लगा लेना,
जाति व धर्म देखे बिन, उसे अपना बना लेना।

भूल संगी जख्म अपने,
घाव भरता मीत के,
त्याग अपने स्वार्थ सपने,
काज सरता मीत के।
जमाने में अगर जीना,
कभी मितघात न करना
यार के स्वेद के संगत,
कभी दो बात न करना।

दोस्ती पालनी तुमको तो,
खुद ही कर्ण बन जाना,
जमाने की नजर लगती,
सुयोधन साथ लग जाना।

दोस्ती कृष्ण से करना न सुदामा ही कभी बनना,
बड़े अनमेल सौदे है , जमाने संग रंगना है।

भला इससे तो अच्छा है,
कि झाला मान बन जाना।
बनो राणा तो कीका सा,
या चेतक अश्व बन जाना।

वतन से प्यार करलो यार,
इसी के काम आ जाना,
खिलौने आप माटी के
उसी में खाक मिल जाना।
न करना कृष्ण सी यारी
सुदामा को न तड़पाना,
खिलौने आप मिट्टी के,
उसी में खाक मिल जाना।

यारी दु:ख से कर लेना,जन्म भर ये निभाएंगे।
कहाँ है मीत सुख साथी,यही तो साथ जाएंगे।
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बाबू लाल शर्मा “बौहरा”

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