वो ख्वाब भी बिखरे हुए हैं – आर्यपुत्र आर्यन सिंह यादव

जब आर्यन को फिलहाल मे किसी लड़की से सच्चा प्यार हुआ मगर अभी तक वे उस लड़की के सामने प्यार का पैगाम नही भेज पा रहे थे तब उनके दिल की प्रबल भावनाएं इस सुंदर कविता के द्वारा बाहर आयीं *
प्रस्तुत है कविता *

वो ख्वाब भी बिखरे हुए हैं- आर्यपुत्र आर्यन सिंह यादव

प्यार के अनदेखे सपने आँखों मे निखरे हुए हैं

टूटती आशाओं मे वो ख्वाब भी बिखरे हुए हैं !!

सामने मौसम सुहाना पतझड़ों में फंस गए हम

दीन से हालात मेरे देखकर क्यों हंस रहे तुम

प्यार है कोई रण नहीं निर्भय खड़ा हूँ सिंह सम

हारूँ या जीतू खेल में ना शोक सुख ना दुख ना गम.

कुछ जनों के मन में नफरत की नब्ज पकड़े हुए हैं

टूटती आशाओं मे वो ख्वाब भी बिखरे हुए हैं !!

ब्याप्त है अति ग्लानि चिन्ता हानि है संकोच बस

शब्द अधरों पर थम गए ठहरा हूं होकर विवश

तोड़कर भावों की गरिमा व्यस्त मन धारा सरस

वे खयाली देखकर नादाँ ना मुझ पर तंज कस.

अतीत के अत्यंत पल आज भी अखरे हुए हैं

टूटती आशाओं मे वो ख्वाब भी बिखरे हुए हैं !!

जिन्दगी के ब्यस्त बानें ना मिला है ठौर तक

चाहता दिल संग कैसा आ गया उस ओर तक

हैं हजारों शत्रु देखो फैला दिया है शोर तक

साथ ना छोडूंगा प्यारी प्राप्ति के उस दौर तक.

कहाँ दिखाऊं रोष वो रिश्ते हमे जकड़े हुए हैं

टूटती आशाओं मे वो ख्वाब भी बिखरे हुए हैं !!

आजकल बदली प्रवृत्ति इस दौर में इंसान की

लोग अब करते बुराई ए इसलिये भगवान की

तोड़ती रश्में नवाजीं ध्वस्त है मेहमान की

हर जगह बाजी लगी क्यों धर्म के सम्मान की.

आर्यन ” बनकर पथिक सच के आज हम निकले हुए हैं.

टूटती आशाओं मे वो ख्वाब भी बिखरे हुए हैं !!

प्रस्तुति ~ आर्यपुत्र आर्यन सिंह यादव .

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *