शिव जी पर कविता
शिवशंकर के चरणों में सब,
नित-नित शीश नवाते हैं |
नीलकंठ भोलेबाबा की,
प्रतिपल महिमा गाते हैं ||
दूध-नीर अरु बेलपत्र सब,
शिव के शीश चढाते हैं |
महादेव,गणनाथ, स्वरमयी,
सेवा भाव जगाते हैं ||
भक्तों की भक्ती से खुश हो,
उनको पार लगाते हैं |
कामारी, सुरसूदन जग में,
सबके भाग जगाते हैं ||
देव-दनुज, जन, ऋषिगण सारे,
त्रिलोकेश को ध्याते हैं |
शिवाप्रिय, महाकाल, अनीश्वर,
कृपा सदा बरसाते हैं ||
हरीश बिष्ट “शतदल”
स्वरचित / मौलिक
रानीखेत || उत्तराखण्ड ||
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