आजादी के अलख जगैय्या

आजादी के अलख जगैय्या

वीर नारायण तोर जीनगी के एके ठन अधार।
सादा जीवन जीबो अउ बढ़िया रखबो विचार।
हक के बात आही त, नई झुकन गा बिंझवार
अंग्रेज ला चुनौती देबो, मचा देबो हाहाकार।

सोनाखान मा जनम लिस, रामराय परिवार।
जेकर पूर्वज रिहीन तीन सौ गां के जमींदार।
अकाल पढ़िस राज मा, भुखमरी के शिकार।
वीर अपन आंखी ले तो , नइ सकिस निहार।

माखनलाल रहीस हे, कसडोल के साहूकार।
एकदम निर्दई जमाखोरी, असत के बौछार।
नई दिस जी एकोदाना,जनता हाेईन लचार।
तेकर बर लड़ीस हमर वीर नारायण सरदार।

आजादी के अलख जगैय्या, तोर बल अपार।
क्रूर अंग्रेज मन के आघू मा तै लड़े बर तैयार।
विद्रोही सेना बनाके, माटी के छूटिस उधार।
बैरी कापें डर म, जब कबरा मा करस सवार।

कुर्रुपाट के जंगल ल, बनाय तै दुर्गम दीवार।
अंग्रेज मन ला नचा डारे, करके तै छापामार।
परेशान करे जीभर अउ नई सहे तै अत्याचार।
शहादत तोर देखके पूरा देस करिस जयकार।

🖊️मनीभाई नवरत्न

You might also like