मन पर कविता -शशिकला कठोलिया

मन पर कविता

रे मेरे मन ,
ये तू क्या कर रहा है ,
जो तेरा नहीं 
उसके लिए तू 
क्यों रो रहा है? 
दफन कर दे अपने सीने में, 
अरमानों को ,
जो सागर की लहरों की तरह, 
हिलोरे ले रहा है ,
यादों को आंखों में 
संजोकर रख, 
जो नदी की धारा की तरह ,
बहे जा रहा है ,
रे मेरे मन,
मत पाल अरमान दिल में इतना,
जो तू आंसू को 
एक एक मोती की तरह, 

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पिरोए जा रहा है।

श्रीमती शशिकला कठोलिया
उच्च वर्ग शिक्षिका
अमलीडीह, डोंगरगांव
जिला-राजनांदगांव (छ ग)
मो न 9340883488
        9424111041
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद

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