ताँका कैसे लिखें
“ताँका” जापान का बहुत ही प्राचीन काव्य रूप है । यह क्रमशः 05,07,05,07,07 वर्ण क्रम में रची गयी पंचपदी रचना है, जिसमें कुल 31 वर्ण होते हैं । व्यतिक्रम स्वीकार नहीं है । “हाइकु” विधा के परिवार की इस “ताँका” रचना को “वाका” भी कहा जाता है । “ताँका” का शाब्दिक अर्थ “लघुगीत” माना गया है । “ताँका” शैली से ही 05,07,05 वर्णक्रम के “हाइकु” स्वरूप का विन्यास स्वतंत्र अस्तित्व प्राप्त किया है ।
वर्ष 2000 में रचित मेरी एक ताँका रचना उदाहरण स्वरूप देखें –
मन मंदिर (05 वर्ण)
प्रदीप कुमार दाश “दीपक”
बजा रही घण्टियाँ (07 वर्ण)
प्रातः पवन (05 वर्ण)
पूर्वी नभ के भाल (07 वर्ण)
लगा रवि तिलक । (07 वर्ण)
वास्तविकता यह कि “ताँका” अतुकांत वर्णिक छंद है । लय इसमें अनिवार्य नहीं, परंतु यदि हो तो छान्दसिक सौंदर्य बढ़ जाता है । एक महत्वपूर्ण भाव पर आश्रित “ताँका” की प्रत्येक पंक्तियाँ स्वतंत्र होती हैं । शैल्पिक वैशिष्ट्य के दायरे में ही रचनाकार के द्वारा रचित कथ्य की सहजता, अभिव्यक्ति क्षमता व काव्यात्मकता से परिपूर्ण रचना श्रेष्ठ “ताँका” कहलाती है ।
प्रदीप कुमार दाश “दीपक “