तू ही मेरा प्रारब्ध है माँ”

यहाँ माँ पर हिंदी कविता लिखी गयी है .माँ वह है जो हमें जन्म देने के साथ ही हमारा लालन-पालन भी करती हैं। माँ के इस रिश्तें को दुनियां में सबसे ज्यादा सम्मान दिया जाता है।

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माँ पर कविता

तू ही मेरा प्रारब्ध है माँ”

वंदन अर्चन हे जन्मदायिनी
सबसे  प्यारा  शब्द है   माँ
पहचान मेरी तेरे आँचल से
तू  ही  मेरा  प्रारब्ध  है माँ l
तू ही  मेरी पहली धड़कन  है
तू  ही मेरी अंतिम साँस है  माँ
महिमा मंडन तेरा कर न पाऊँ
जीवन का दिव्य प्रकाश है माँ l
अस्तित्व दिलाने को धरती पर 
माँ   सहस्रों  कष्ट उठाती है
कुछ लिखने बैठूं तुझ पर तो
ये लेखनी मेरी रुक जाती है l
शब्दों में बांधना मुश्किल है माँ
तेरी ममता, समर्पण प्यार को
नतमस्तक नमन करता ईश्वर
तेरे  करुणा के भण्डार को l
त्याग,स्नेह, कष्टों में खिलना
तेरा  आचरण  व्यवहार  है
संतान ही तेरी आशा है माँ
तुझसे  ही  घर  संसार  है l
पीड़ा दुख  में जब होती माँ
हमारे सुख साधन है जुटाती
अश्क़ हमारे खुद पीकर माँ
मीठे  सपनों में  है  सुलाती  l
कर्तव्यपरायण, कर्मनिष्ठ हो
धरती सा धैर्य है रखती माँ
धूप में बरगद की छाया सी
जीवन सुरभित है करती माँ l
प्यार भरा  है हृदय में  तेरे
असीम,अनंत,अथाह,अपार
संस्कारों की खान है माँ तू
दामन में  तेरे भरा  दुलार l
त्याग तपस्या की  तू मूरत
जीवन  का है तू दूजा नाम
गीता,कुरान,बाइबल भी तू
माँ  तू  ही  है  चारों धाम l
ये  जीवन तेरी  देन है माँ
जन्म  मिला तुझे  पाकर
ममता का मीठा झरना है तू
माँ तू सुख सरिता का सागर l
कुसुम लता पुन्डोरा
आर के पुरम
नई दिल्ली
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद