उन बातों को मत छेड़िये

उन बातों को मत छेड़िये

सारी बातें बीत गई उन बातों को मत छेड़िये,
जो तुम बिन गुजरी उन रातों को मत छेड़िये।

तुम मिलो न मिलो हमसे रूबरू होकर कभी,
लाखो शिकायते हैं उन हालातों को मत छेड़िये।

एक नजर भर देखा था हमने  तुमको यूँही कही,
छूकर जो तुम्हें उठे उन ख्यालातों को मत छेड़िये।

अकेले ही सफर करना हैं अब तेरी यादों से,
प्रीत की जो मिली उन सौगातों को मत छेड़िये।

मेरी धड़कनों की चाहत बस इतनी सी रही,
जीने के लिए “इंदु”दिल के तारों को मत छेड़िये।

रश्मि शर्मा “इन्दु”

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