हार कर जीतना – पूनम दुबे
हार कर जीतना – पूनम दुबे सही तो है हार कर भी,मैं जीत रही हूं,तुम्हारे लिए कभी बच्चों,के लिए कभी परिवार ,के लिए मैं हार कर भी जीत ,रही हूं,क्या हुआ अगर मेरे आत्मसम्मान परचोट लगती,है मेरे आंसुओं से क्या…
हार कर जीतना – पूनम दुबे सही तो है हार कर भी,मैं जीत रही हूं,तुम्हारे लिए कभी बच्चों,के लिए कभी परिवार ,के लिए मैं हार कर भी जीत ,रही हूं,क्या हुआ अगर मेरे आत्मसम्मान परचोट लगती,है मेरे आंसुओं से क्या…
आखिर कब आओगे – रश्मि शर्मा मुझे अकेला छोड़कर कहाँ जाओगे तुम,इन्हीं राहों में खड़ी हुँ कभी तो मिलोगे तुम। छोटी सी बात पर आंख फेर ली तुमने,कब तक यूँ मुझसे रूठे ही रहोगे तुम। रात भर जागती रही आंखे…
चल मुसाफिर चल-केवरा यदु “मीरा “ जिन्दगी काँटों भरी है चल मुसाफिर चल ।गिर गिर कर उठ संभल मुसाफ़िर चल । लाख तूफाँ आये तुम रूकना नहीं।मंजिलों की चाह है झुकना नहीं ।मंजिल तुझे मिल जायेगी आज नहीं तो कल।…
साल ही तो है कुछ को होगी ख़ुशी, कोई ग़म से भर जाएगान जाने ये नया साल भी, क्या कुछ कर जाएगा कुछ अरमान होंगे पूरी इसमें उम्मीद है हमेंऔर कुछ इस साल कि तरह ख़ुद में मर जाएगा टूटा…
धर्म एक धंधा है गंगाधर मनबोध गांगुली “सुलेख “ समाज सुधारक ” युवा कवि “ क्या धर्म है ,क्या अधर्म है ? आज अधर्म को ही धर्म समझ बैठें हैं । धर्म से ही वर्ण व्यवस्था , समाज में आया…