Author: कविता बहार

  • शिव महिमा कविता

    bhagwan Shiv
    शिव पर कविता

    शिव महिमा कविता

    शिव शिवा शिव शिवा शिव शिवा ।
    शिव शव हैं……शिवा के सिवा।

    शिव अपूर्ण हैं शक्ति के बिना
    शक्ति कब पूर्ण हैं शिव के बिना
    अनुराग का सत इनका है वफ़ा।

    लोचन मोचन वि..मोचन सबल तुम हो
    कांति चमक दामिनी सकल तुम हो
    कायनात का कण तूने है रचा।

    वो अर्धनारी वो अर्धपुरुष हैं
    ऋषि मुनि के हर तो लक्ष्य हैं
    वो अर्चक का भाव सुनते हैं सदा।

    वो धरातल रसातल और फलक हैं।
    लालन पालन रक्षक सब के जनक हैं।
    लट जट जटा,जटी जूट वो हैं कुशा।

    जल नीर नाग हलाहल में तुम हो।
    गुल तरु फल प्राणी सुर
    तम में तुम हो।
    मन में संचित स्वाति बूंद है सुधा।

    एकाकी हैं…दो की दिव्य काया।
    ब्रह्म और भ्रम की है अलौकिक माया।
    सरल कपाल स्वयंभू से नहीं है जुदा।

    *_सुधीर कुमार*

  • आस टूट गई और दिल बिखर गया

    आस टूट गई और दिल बिखर गया


    आस टूट गयी और दिल बिखर गया।
    शाख से गिरकर कोई लम्हा गुज़र गया।

    उसकी फरेबी मुस्कान देख कर लगा,
    दिल में जैसे कोई खंजर उतर गया।

    आईने में पथराया हुआ चेहरा देखा,
    वो इतना कांपा फिर दिल डर गया।

    वहां पहले से इत्र बू की भरमार थी,
    गजरा लेकर जब उसके मैं घर गया।

    दिल- ए- जज़्बात मेरे सारे ठर गये,
    जब मौसम भी फेरबदल कर गया।

    एक मंज़र देखा ऐसा कि परिंदें रो पड़े,
    जहां एक शजर कट कर मर गया।

    *सुधीर कुमार*

  • आस टूट गयी और दिल बिखर गया

    ग़ज़ल*
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    आस टूट गयी और दिल बिखर गया।
    शाख से गिरकर कोई लम्हा गुज़र गया।

    उसकी फरेबी मुस्कान देख कर लगा,
    दिल में जैसे कोई खंजर उतर गया।

    आईने में पथराया हुआ चेहरा देखा,
    वो इतना कांपा फिर दिल डर गया।

    वहां पहले से इत्र बू की भरमार थी,
    गजरा लेकर जब उसके मैं घर गया।

    दिल- ए- जज़्बात मेरे सारे ठर गये,
    जब मौसम भी फेरबदल कर गया।

    एक मंज़र देखा ऐसा कि परिंदें रो पड़े,
    जहां एक शजर कट कर मर गया।

    *सुधीर कुमार*

  • राम नारायण हरि-अनिल कुमार गुप्ता अंजुम

    राम नारायण हरि

    राम नारायण हरि-अनिल कुमार गुप्ता अंजुम

    राम नारायण हरि, श्री कृष्ण नारायण हरि
    शिव नारायण हरि, गोविंद नारायण हरि

    मातृ नारायण हरि, श्री पितृ नारायण हरि
    कुल देव नारायण हरि, स्थान देव नारायण हरि

    श्याम नारायण हरि, श्री राधे नारायण हरि
    ग्वालों के नारायण हरि, वृंदावन के नारायण हरि

    हरिद्वार के नारायण हरि, गौओं के नारायण हरि
    जगन्नाथ नारायण हरि, बाल गोपाल नारायण हरि

    मेरे नारायण हरि, सबके नारायण हरि
    जीवन का सार नारायण हरि, मोक्ष का द्वार नारायण हरि

    राम नारायण हरि, श्री कृष्ण नारायण हरि
    शिव नारायण हरि, गोविंद नारायण हरि

  • खुदा ने अता की जिन्दगी -अनिल कुमार गुप्ता अंजुम

    खुदा ने अता की जिन्दगी

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    खुदा ने अता की जिन्दगी तुझे
    मुहब्बत के लिए

    क्यूं कर बैठा तू दूसरों से नफरत
    अपने अहम् के लिए

    खुदा ने अता की जिन्दगी तुझे
    एक अदद इंसानियत के लिए

    ऊंच – नीच के बवंडर में उलझ गया तू
    ताउम्र भर के लिए

    खुदा ने अता की जिन्दगी
    आशिक़ी के लिए

    तू मुहब्बत का दुश्मन बन बैठा
    ताउम्र भर के लिए

    खुदा ने अता की जिन्दगी तुझे
    इबादत के लिए

    तू बहक गया धर्म के ठेकेदारों के कहने पर
    उम्र भर के लिए

    खुदा ने अता की जिन्दगी तुझे
    किसी के आंसू पोंछने के लिए

    तू अपनी ही मस्ती में डूबा रहा
    उम्र भर के लिए

    खुदा ने अता की जिन्दगी तुझे
    इस गुलशन को आबाद करने के लिए

    तू उजाड़ बैठा इस गुलशन को
    अपने ऐशो – आराम के लिए

    खुदा ने अता की जिन्दगी तुझे
    उपवन में फूल खिलाने के लिए

    तू काँटों की सेज सजा बैठा
    उम्र भर के लिए

    खुदा ने अता की जिन्दगी तुझे
    किसी जनाजे को कंधा देने के लिए

    तू उसकी मौत का गुनाहगार बन बैठा
    उम्र भर के लिए

    खुदा ने अता की जिन्दगी तुझे
    मुहब्बत के लिए

    क्यूं कर बैठा तू दूसरों से नफरत
    अपने अहम् के लिए