मोर गांव मोर मितान जिसके रचनाकार अनिल जांगड़े जी हैं । कविता ने ग्रामीण परिवेश का बहुत सुंदर वर्णन किया है। आइए आनंद लें ।
मोर गांव मोर मितान
मोर गाॅंव के तरिया नदिया,नरवा मोर मितान
रूख राई म बसे हवय जी,मोर जिंनगी परान।
गली खोर के मॅंय हंव राजा,
दुखिया के संगवारी हंव
दया धरम हे सिख सिखानी
बैरी बर मॅंय कटारी हंव
बिन फरिका के दुवारी हंव रे
मोर अलग पहचान
मोर गांव के तरिया नदिया,नरवा मोर मितान।
गाॅंव के कुकुर बिलई संग हे
मोर सुघर मितानी
परछी बइठे बुढ़वा बबा मोर
करथे मोर सियानी
मॅंय गाॅंव के लहरिया बेटा
दाई ददा भगवान
मोर गाॅंव के तरिया नदिया,नरवा मोर मितान।
गाॅंव म शीतला ठाकुर देवता
करथे हमर रखवारी
छानी परवा टूटहा कुरिया
हवय हमर चिनहारी
बोरे बासी खा के कमाथन
माटी म उगाथंन धान
मोर गाॅंव के तरिया नदिया, नरवा मोर मितान।
🖊️ अनिल जांगड़े
सरगांव मुंगेली छत्तीसगढ़
8120861255