Author: कविता बहार

  • गुरु की मार

    5 अक्टूबर 1994 को यूनेस्को ने घोषणा की थी कि हमारे जीवन में शिक्षकों के योगदान का जश्न मनाने और सम्मान करने के लिए इस दिन को विश्व शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाएगा।

    गुरु पूर्णिमा

    महर्षि वेद व्यासजी का जन्म आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को ही हुआ था, इसलिए भारत के सब लोग इस पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाते हैं। जैसे ज्ञान सागर के रचयिता व्यास जी जैसे विद्वान् और ज्ञानी कहाँ मिलते हैं। व्यास जी ने उस युग में इन पवित्र वेदों की रचना की जब शिक्षा के नाम पर देश शून्य ही था। गुरु के रूप में उन्होंने संसार को जो ज्ञान दिया वह दिव्य है। उन्होंने ही वेदों का ‘ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद’ के रूप में विधिवत् वर्गीकरण किया। ये वेद हमारी संस्कृति की अमूल्य धरोहर हैं

    गुरु की महिमा कोन जान पाया है
    गुरु को भगवान का दूजा रूप बताया है

    आप हमें डांटते हैं पीटते हैं
    आप जीवन का सार सिखाते हैं

    आप की प्रवृत्ति जैसे कुम्हार
    पीटता है घड़े को देने को आकार
    क्षति न पहुंचे तो देता है आधार
    मार में ही तो छिपा है आप का प्यार

    अगर किसी से एक अक्षर भी शिखा हो
    जिसके आदर में सर झुक जाता हो
    वही गुरु है।।

    आपसे भेट को हर पल तत्पर रहता हूं
    आपके चरणों में मेरा सादर प्रणाम करता हूं

    ©Mr.Agwaniya

  • सरस्वती वंदना

    सरस्वती वंदना

    हँसवाहिनी माँ की जय जय
    वीणावादिनी जय हो
    शुभ्रज्योत्स्ना भरो हृदयमें
    अन्धकार सब क्षय हो
    पद्मासना श्वेत वस्त्रा माँ
    तेरी जय जय जय हो

    2

    पुलकित ज्ञान ज्योति में
    मेरी सद्बुद्धि की लय हो
    ज्ञानदायिनी तब प्रकाश में
    मेरा तिमिर विलय हो
    कमल आसनी वागीश्वरी माँ
    तेरी जय जय जय हो

    3

    तेरे चरणों की पावन रज
    मस्तक मेरे सोहे
    धूप दीप नैवेद्य सुधा से
    अर्चन वंदन होवे
    बुद्धि वर्धिनी अमृतमयी माँ
    तेरी जय जय जय हो

    4
    ज्योतिर्मय शुभ जल प्रपात से
    ज्ञान पुंज नित बरसे
    नित उड़ान हो नयी सफलता
    से प्रतिदिन मन हरसे
    कृपा सिंधु माँ तेरी जय जय
    तेरी जय जय जय हो
    5
    वरदहस्त हो मेरी कलम पर
    मम सौभाग्य उदय हो
    दुख अभाव सबके हर लो माँ
    इन पर विश्व विजय हो
    ताल-छंद गति लय पर जय हो
    माँ तेरी जय जय हो

    हँसवाहिनी माँ की जय जय
    वीणावादिनी जय हो
    पद्मासना श्वेत वस्त्रा माँ
    तेरी जय जय जय हो

    रमेश कँवल 

  • ईश्वर पर कविता

    ईश्वर (विधाता छंद )

    पहाड़ों को, घटाओं को, हवाओं को बनाया है
    गगन के थाल को जिसने सितारों से सजाया है
    धरा की गोद में कानन सघन उपवन बसाया है
    मेरे ईश्वर की महिमा है! मेरे ईश्वर की माया है

    2

    जहाँ सूरज को शिशु हनुमान ने मुंह मे दबाया है
    दिवाकर ने जहाँ करके विनय जीवन बचाया है
    जहाँ जग के लिए दिन रात का ठप्पा लगाया है
    मेरे ईश्वर की महिमा है! मेरे ईश्वर की माया है

    3

    समुन्दर पर बड़े जलयान को जिसने चलाया है
    जलधि के गर्भ से पनडुब्बियों तक को उठाया है
    गगन में बिजलियों की कौंध से जग कसमसाया है
    मेरे ईश्वर की महिमा है! मेरे ईश्वर की माया है

    4

    जिसे काशी ने मथुरा ने अयोध्या ने कमाया है
    जिसे शिव ने कन्हैया राम ने मन में जगाया है
    जिसे मोदी अमित योगी ने प्रण-गौरव बताया है
    मेरे ईश्वर की महिमा है! मेरे ईश्वर की माया है

    5

    प्रफुल्लित है ह्रदय अपना सनातन धर्म छाया है
    नयन ख़ुश हैं कि अब तुष्टिकरण का सर कटाया है
    चहुर्दिश राष्ट्र ने दुनिया में रँग अपना जमाया है
    मेरे ईश्वर की महिमा है! मेरे ईश्वर की माया है

    रमेश

  • जय माँ दुर्गे तुम्हें प्रणाम /रमेश

    जय माँ दुर्गे तुम्हें प्रणाम /रमेश

    दुर्गा या आदिशक्ति हिन्दुओं की प्रमुख देवी मानी जाती हैं जिन्हें माता, देवीशक्ति, आध्या शक्ति, भगवती, माता रानी, जगत जननी जग्दम्बा, परमेश्वरी, परम सनातनी देवी आदि नामों से भी जाना जाता हैं। शाक्त सम्प्रदाय की वह मुख्य देवी हैं। दुर्गा को आदि शक्ति, परम भगवती परब्रह्म बताया गया है।

    Maa Durga photo
    Maa Durga photo

    जय माँ दुर्गे तुम्हें प्रणाम

    अष्ट सिद्धि नौ निधियों वाली
    जीवन में जो लाये दिवाली
    जग में जिनकी शान निराली
    उन चरणन में जगह बना ली
    उन भक्तों को कोटि प्रणाम
    हे जगदम्बे ! कोटि प्रणाम

    2

    दसों भुजा में शस्त्र सुशोभित
    गदा चक्र त्रिशूल से मोहित
    मांग सिंदूर नयन शत शोणित
    नथ कपोल झुमका अति सज्जित
    प्रलय ललाट दिखे अविराम
    हे जगदम्बे ! कोटि प्रणाम

    3

    महिषासुर मर्दिनी की जय हो
    रक्तबीज नाशिनी की जय हो
    शुंभ निशुंभ हननी की जय हो
    कलमंजरीरंजिनी की जय हो
    शरण गहूँ तव आठो याम
    हे जगदम्बे ! कोटि प्रणाम

    4

    कंचन थाल विराजत वाती
    चौंसठ योगिनी मंगल गाती
    कानन कुंडल ख़ूब सुहाती
    नासिका मोती अतिशय भाती
    हे माँ दुर्गे तुम्हे प्रणाम
    हे जगदम्बे ! कोटि प्रणाम

    5

    दुर्गा पूजा में हैं संवरते
    वस्त्र नवीन गात पर धरते
    हाथ जोड़ तव दर्शन करते
    रसगुल्ला प्रसाद मुंह भरते
    विंध्यवासिनी माँ तव नाम
    हे जगदम्बे ! कोटि प्रणाम

    रमेश

  • श्रीकृष्ण जय कृष्ण हरे मुरारी

    श्रीकृष्ण जय कृष्ण हरे मुरारी

    श्रीकृष्ण जय कृष्ण हरे मुरारी

    shri Krishna
    Shri Krishna

    जय गोपी बल्लभ कुञ्ज बिहारी

    1

    नन्द यशोदा की छवि प्यारी
    गोकुल धाम की महिमा न्यारी
    नाम तुम्हारा कृष्ण मुरारी
    माधव गिरिधारी त्रिपुरारी

    श्रीकृष्ण जय कृष्ण हरे मुरारी
    जय गोपी बल्लभ कुञ्ज बिहारी

    2

    कारागार का खोला ताला
    यमुना की लहरों को नवाया
    तृणावर्त वत्सासुर तारा
    दैत्य बकासुर को संहारा

    श्रीकृष्ण जय कृष्ण हरे मुरारी
    जय गोपी बल्लभ कुञ्ज बिहारी

    3

    गोवर्धन पर्वत को उठाया
    वारिश से मथुरा को बचाया
    पूतना को यमलोक भिजाया
    दैत्य अघासुर को भी सुलाया

    श्रीकृष्ण जय कृष्ण हरे मुरारी
    जय गोपी बल्लभ कुञ्ज बिहारी

    4

    द्रुपद सुता का शील बचाया
    मोह पाश अर्जुन का काटा
    ज्येष्ठ कर्ण को दे ललकारा
    जरासंध को तुम ने मारा

    श्रीकृष्ण जय कृष्ण हरे मुरारी
    जय गोपी बल्लभ कुञ्ज बिहारी

    5

    द्वापर युग के तुम अवतारी
    प्रकट भये मानव हितकारी
    गीता ज्ञान है कृपा तुम्हारी
    धर्म ध्वजा तुम पर बलिहारी

    श्रीकृष्ण जय कृष्ण हरे मुरारी
    जय गोपी बल्लभ कुञ्ज बिहारी

    6

    वृंदावन के तुम अधिकारी
    देवकीनंदन मुरलीधारी
    भक्त तुम्हारे सभी पुजारी
    कृपा निरंतर बांके बिहारी

    श्रीकृष्ण जय कृष्ण हरे मुरारी
    जय गोपी बल्लभ कुञ्ज बिहारी

    गोविन्द माधव श्याम बिहारी
    यशोदा नंदन जय त्रिपुरारी

    रमेश