पिता धर्म निभना अति भारी-बाबू लाल शर्मा

फादर्स डे पिताओं के सम्मान में एक व्यापक रूप से मनाया जाने वाला पर्व हैं जिसमे पितृत्व, पितृत्व-बंधन तथा समाज में पिताओं के प्रभाव को समारोह पूर्वक मनाया जाता है। अनेक देशों में इसे जून के तीसरे रविवार, तथा बाकी देशों में अन्य दिन मनाया जाता है।

ख्वाहिशें हमसे न पूछो-बाबू लाल शर्मा “बौहरा”

ख्वाहिशें हमसे न पूछो-बाबू लाल शर्मा "बौहरा" ख्वाहिशें हमसे न पूछो,ख्वाहिशों का जोर है,तान सीना जो अड़े है,वे बहुत कमजोर हैं।आज जो बनते फिरे वे ,शाह पक्के चोर हैं,ख्वाहिशें हमसे…

वतन है जान से प्यारा -बाबू लाल शर्मा,बौहरा, विज्ञ

वतन है जान से प्यारा -बाबूलाल शर्मा बौहरा विज्ञ सितारे साथ होते तो,बताओ क्या फिजां होती।सभी विपरीत ग्रह बैठे,मगर मय शान जिन्दा हूँ।गिराया आसमां से हूँ,जमीं ने बोझ झेला है।मिली…

प्रीत पुरानी-बाबू लाल शर्मा

प्रीत पुरानी १६ मात्रिक मुक्तकथके नैन रजनी भर जगते,रात दिवस तुमको है तकतेचैन बिगाड़ा, विवश शरीरी,विकल नयन खोजे से भगते।नेह हमारी जीवन धारा।तुम्हे मेघ मय नेह निहारा।वर्षा भू सम प्रीत…

कवि का धर्म निभाना – बाबू लाल शर्मा

विश्व कविता दिवस (अंग्रेजी: World Poetry Day) प्रतिवर्ष २१ मार्च[1] को मनाया जाता है। यूनेस्को ने इस दिन को विश्व कविता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा वर्ष 1999[2]…

नारी रत्न अमूल्य धरा पर(चौपाई छंद)

नारी रत्न अमूल्य धरा पर (चौपाई छंद) नारी रत्न अमूल्य धरा पर।ईश्वर रूप सकल सचराचर।।राम कृष्ण जन्माने वाली।सृष्टि धर्म की सत प्रतिपाली।।१.बेटी बहिन मात अरु दारा।हर प्रतिरूप मनुज उद्धारा।।नारी जग…

विश्व कविता दिवस – बाबू लाल शर्मा

विश्व कविता दिवस (अंग्रेजी: World Poetry Day) प्रतिवर्ष २१ मार्च को मनाया जाता है। यूनेस्को ने इस दिन को विश्व कविता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा वर्ष 1999में की थी जिसका उद्देश्य…

भगवान सहस्त्रबाहु अर्जुन

भगवान सहस्त्रबाहु अर्जुन कार्तिक मास शुक्ल सप्तमी को हुआ सहस्त्रबाहु का अवतरण।राजराजेश्वर,कार्तवीर्य,सहस्त्रार्जुन नाम,दशानन आया शरण।महाराज हैहय की दसवीं पीढ़ी में माता पद्मिनी के थे संतान।सुदशेन,चक्रावतार,सप्तद्रवीपाधि,दशग्रीविजयी थे कृतवीर्यनन्दन।1।चंद्रवंशी महाराजा कृतवीर्य के…

प्रेम का अनुप्रास बाकी

प्रेम का अनुप्रास बाकी आर आर साहू, छत्तीसगढ़: " प्रेम का अनुप्रास बाकी "सत्य कहने और सुनने की कहाँ है प्यास बाकी।क्या विवशता को कहेंगे,है अभी विश्वास बाकी।आस्थाओं,धारणाओं,मान्यताओं को परख…