गुलबहार -माधुरी डड़सेना
गुलबहार होश में हमीं नहीं सनम कभी पुकार अबहो तुम्हीं निगाह में हमें ज़रा निहार अब । वक़्त की फुहार है ये रोज़ की ही बात है दिल मचल के कह रहा मुझे तुम्हीं से प्यार अब। खिल उठा गुलाब है चमन में रौनकें सजी हर गली महक रहा कि चढ़ रहा खुमार अब। अजीब … Read more