कविता बहार

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

मेरी बिल्ली मुझसे म्याऊँ-उपमेंद्र सक्सेना

मेरी बिल्ली मुझसे म्याऊँ जिससे अपना मतलब निकला, क्यों मैं उसके लात लगाऊँदुनिया का सिद्धांत अनोखा, मेरी बिल्ली मुझसे म्याऊँ। मगरमच्छ के आँसू गिरते, जब वह सुख से भोजन करताबगुला भगत यहाँ पर देखो,अपनों पर यों कभी न मरता जिस…

अब तो भर्ती-विनोद सिल्ला

अब तो भर्ती अब तो भर्ती खोलिए, बहुत हुआ सरकार। पढ़-लिखकर हैं घूमते, युवा सभी बेकार।। नयी-नयी नित नीतियां, सत्ता ने दी थोप।रोजगार की खोज में, चले युवा यूरोप।। जितना जो भी है पढ़ा, दे दो वैसा काम।वित पोषण हो…

खुशनसीब -माधुरी डड़सेना मुदिता

खुशनसीब मैं खुशनसीब हूँ कि मुझे यार मिल गया दिल को बड़ा सकूं है दिलदार मिल गया । दर दर भटक रहे थे कभी हम यहाँ वहाँअब डर नहीं किसी से सरकार मिल गया । हमराज बन गए हैं दिन…

आओ गिलहरी बनें -डाॅ.संजय जी मालपाणी

आओ गिलहरी बनें सागर पर जब सेतु बना था, गिलहरी ने क्या काम किया था जहां-जहां भी दरार रहती, उसने उसको मिटा दिया था वैसे तो वह छोटी सी थी, राम कार्य में समर्पित थी रेती उठाकर चल पड़ती थी,…

राजनीति बना व्यापार जी – राजकुमार मसखरे

राजनीति बना व्यापार जी देखो आज इस राजनीति ककैसे बना गया ये व्यापार जी ,लोक-सेवक अब गायब जो हैंमिला बड़ा उन्हें रोज़गार जी !राजनीति अब स्वार्थ- नीति हैकर रहे अपनों का उपकार जी,कुर्सी में चिपके रहने की लतबस एक ही…