कविता बहार

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

प्रकृति से खिलवाड़/बिगड़ता संतुलन-अशोक शर्मा

hasdev jangal

भौतिकता की होड़ में मानव ने प्रकृति के साथ बहुत छेड़छाड़ की है। अपने विकास की मद में खोया मानव पर्यावरण संतुलन को भूल गया है। इस प्रकार के कृत्यों से ही आज कोरोना जैसी महामारी से मानव जीवन के अस्तित्व खतरे में दिख रहा है।

विधाता छंद में प्रार्थना

विधाता छंद में प्रार्थना विधाता छंद१२२२ १२२२, १२२२ १२२२. प्रार्थना.सुनो ईश्वर यही विनती,यही अरमान परमात्मा।मनुजता भाव मुझ में हों,बनूँ मानव सुजन आत्मा।.रहूँ पथ सत्य पर चलता,सदा आतम उजाले हो।करूँ इंसान की सेवा,इरादे भी निराले हो।.गरीबों को सतत ऊँचा,उठाकर मान दे…

हम तुम दोनों मिल जाएँ

हम तुम दोनों मिल जाएँ मुक्तक (१६मात्रिक) हम-तुम हम तुम मिल नव साज सजाएँ,आओ अपना देश बनाएँ।अधिकारों की होड़ छोड़ दें,कर्तव्यों की होड़ लगाएँ। हम तुम मिलें समाज सुधारें,रीत प्रीत के गीत बघारें।छोड़ कुरीति कुचालें सारी,आओ नया समाज सँवारें। हम…

भारतीय वायु सेना के सम्मान में कविता

भारतीय वायु सेना के सम्मान में कविता भारतीय वायु सेना के जवानों के,सम्मान में सादर समर्पित छंद,. (३०मात्रिक (ताटंक) मुक्तक) मेरे उड़ते…… ….. बाजों काचिड़ीमार मत काँव काँव कर,काले काग रिवाजों के।वरना हत्थे चढ़ जाएगा,मेरे उड़ते बाज़ों के।बुज़दिल दहशतगर्दो सुनलो,देख…