हरियाणा के क्रांति पुरोधा तुलाराम
धरा धरणि हिल गए निशाने गगन की ओट लगाए थे
स्वतंत्रता के शूरवीर उस महायुद्ध में आए थे
रखकर जान हथेली पर दुश्मन पर भृकुटि चढ़ाए थे
हरियाणा के क्रांति पुरोधा तुलाराम कहलाए थे
ब्रिटिश हुकूमत का बुलंद इतिहास सिमटकर बंद हुआ
भारत मां के वीरों का फिर से उत्साह बुलंद हुआ
तुल रही वीरता शस्त्रों पर यमराज लोक आनंद हुआ
पट गई रक्त से धरणि जंग का महा क्षेत्र चौचंद हुआ.
प्रबल हुआ इतिहास राजवंशों ने शस्त्र उठाए थे.
स्वतंत्रता के शूरवीर उस महायुद्ध में आए थे !!
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4 मई सन् सत्तावन को नई क्रांति फिर लहराई
उत्तर भारत से दहाड़ झांसी वाली रानी आई
तात्या गुरु और गौस खान ने प्रबल वीरता दिखलाई
चिंगारी जल उठी वहां और लहर क्रांति की दहकाई.
था रोष भाव और जोश चढ़ा शंकर सम भृकुटि चढ़ाए थे
स्वतंत्रता के शूरवीर उस महायुद्ध में आए थे !!
पूर्वोत्तर की धुरी शत्रु सेना ने दबदबा बना लिया
अंग्रेजों ने हरियाणा पर अपना परचम लगा दिया
पता ना इनको चला यहाँ पर आकर मृत्यु को बुला लिया
सोते हुए सिंह शावक को इन धूर्तों ने जगा दिया.
मचल गये तब तुलाराम चढ़ गया क्रोध रिसिआए थे
स्वतंत्रता के शूरवीर उस महायुद्ध में आए थे !!
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मातृभूमि का रक्षक भक्षक बन दुश्मन पर चढ़ आया
कृष्ण वंश का अंश युद्ध में महाकाल बन लहराया
कट कटकर गिर रहे फिरंगी रंग रक्त का गहराया
पांच हजार अहीरों ने वहां पर अपना परचम लहराया.
देश की खातिर मरे वहां वो भारतवीर कहाऐ थे
स्वतंत्रता के शूरवीर उस महायुद्ध में आए थे !!
16 नवम्बर सन् सत्तावन फिरंगियों ने वार किया
बीस हजार अंग्रेज़ों ने कड़ा प्रपंच प्रहार किया
चले राव गोपाल देव और युद्ध का भार संवार लिया
नसीबपुर की युद्धभूमि पर दुश्मन का संहार किया.
पहले मारे ब्रिटिश बाद में अपने प्राण गंवाऐ थे
स्वतंत्रता के शूरवीर उस महायुद्ध में आए थे !!
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देख भयंकर वक्त नशा तब राष्ट्रभक्ति का छाया था
जंग फतह करने के लिए फिर नया दांव अपनाया था
अवसर पाकर निकल गए और भीषण घात कराया था
तुलाराम का शौर्य देखकर लंदन भी दहलाया था.
वीर अहीरों के आगे अंग्रेज़ सभी घबराऐ थे
स्वतंत्रता के शूरवीर उस महायुद्ध आए में आए थे !!
हरियाणा की आन बान श्री तुलाराम जी कहलाए
राजतंत्र और न्याय नीति के महा पुरोधा बन आए
स्वतंत्रता के महायुद्ध में धूर्त फिरंगी दहलाए
भारत मां के शूरवीर इतिहास के पन्नों पर छाए.
जिनकी शौर्य कथाओं पर कवियों ने कलम चलाऐ थे
स्वतंत्रता के शूरवीर उस महायुद्ध में आए थे !!
रखकर जान 0!!
क्रांतिकवि –
आर्यपुत्र आर्यन सिंह