Author: कविता बहार

  • महा देश का ग्रंथ महाभारत

    महा देश का ग्रंथ महाभारत

    अवसर मिलता सर्वदा,
    पर मन का अभिमान।
    आलस और प्रमाद से
    नही सकें पहचान।।
    तब गुरुवर, गणनाथ मिलि,
    पथ की दें पहचान।
    जो जाने वे कर लिए ,
    निज हित करके ध्यान।।
    हर मानव का ध्येय हो,
    पूजा तीन प्रकार।
    पित्र, गुरू और देव का ,
    पूजन से सत्कार।।
    जीवन के इस युद्ध मे,
    प्रबल बुद्धि जब होय।
    तब डगमग श्रद्धा रहे,
    दुख भोगे हर कोय।।
    यह दुख गणपति ध्यान से ,
    कट जाता तत्काल।
    श्रद्धा युत विश्वास से,
    पूजें रहें निहाल।।
    शिवजी के ही परशु से,
    परशु राम का वार।
    एकदन्त कर रख दिया ,
    थे माता के द्वार।।
    उसी दाँत से लिख दिए,
    महा -देश का ग्रंथ।
    जिसे महा भारत कहें,
    दुनिया के हर पंथ।।


    एन्०पी०विश्वकर्मा, रायपुर


  • माता रानी की कृपा

    दुर्गा या आदिशक्ति हिन्दुओं की प्रमुख देवी मानी जाती हैं जिन्हें माता, देवीशक्ति, आध्या शक्ति, भगवती, माता रानी, जगत जननी जग्दम्बा, परमेश्वरी, परम सनातनी देवी आदि नामों से भी जाना जाता हैं।शाक्त सम्प्रदाय की वह मुख्य देवी हैं। दुर्गा को आदि शक्ति, परम भगवती परब्रह्म बताया गया है।

    durgamata

    माता रानी की कृपा

    माता रानी की कृपा,
    सब पर एक समान।
    होती है यह समझिए,
    त्याग सकल अभिमान ।।
    माता के दस रूप हैं,
    विद्याओं के नाम।
    सिद्धि प्राप्त जिसको हुई,
    बन जाते सब काम ।।
    काली, तारा और हैं,
    छिन्नमस्तिका मात।
    सोडसी भुवनेश्वरी,
    त्रिपुर भैरवी ख्यात।।
    धूमावति बगला मुखी,
    जग मे अधिक प्रसिद्ध।
    मातंगी, कमला सदा,
    करें साधना सिद्ध।।
    इनके क्रमशः भोग भी,
    रुचिकर हैं विख्यात ।
    दुग्ध, शर्करा ,घृत तथा,
    मालपुआ लग जात।।
    कदली फल गुड़ के सहित,
    श्रीफल लाई भोग।
    अर्पित करते मातु को
    जो हैं जिसके जोग ।।
    सरस्वती आराधना ,
    करने वाले लोग ।
    सदा अविद्या दूर के,
    पाते हैं सुख भोग।
    सब माता विद्या सदृश,
    पूरी जायें आज।
    लेकर आशीर्वाद शुभ,
    होगा सुखी समाज।।


    एन्०पी०विश्वकर्मा, रायपुर

  • माघ शुक्ल की तीज तिथि पर कविता

    माघ शुक्ल की तीज तिथि पर कविता

    माघ शुक्ल की तीज तिथि,
    सब तीनों से श्रेष्ठ।
    इसके व्रत से पा रहे,
    साधक सुफल यथेष्ठ ।।
    लिखा भविष्य पुराण में,
    माघ शुक्ल की तीज।
    तिथि नारी जो व्रत रखे,
    तो पाती सब चीज।।
    माँ गौरी की कृपा से,
    सुप्त भाग्य भी जाग।
    कर देता अतिशय प्रबल,
    दुर्बल हुआ सुहाग।।
    व्रत करती है जो बहन,
    धन, सुख, पुत्र अनूप।
    लक्ष्मी जी घर पर बसें,
    खिल जाता है रूप।।
    दीर्घ आयु भी प्राप्त कर,
    सबका दे सुख भाग।
    घर के प्राणी के लिए ,
    करती सम्यक त्याग।।
    पद्म पुराण बता रहे,
    मन्वंतर यह तीज ।
    इसमे दान करें सदा,
    अति आवश्यक चीज।।
    ईंधन, कम्बल, वस्त्र,धन,
    स्वर्ण, अन्न, तिल दान।
    करने वाले नारि-नर,
    होते बहुत महान।।
    माघ, भाद्र, बैसाख की,
    यही तीज उपवास।
    करने का फल स्वर्ग मे,

    मिलता बिना प्रयास।।

    एन्०पी०विश्वकर्मा, रायपुर 🙏

  • हरियाणा के क्रांति पुरोधा तुलाराम

    हरियाणा के क्रांति पुरोधा तुलाराम

    धरा धरणि हिल गए निशाने गगन की ओट लगाए थे
    स्वतंत्रता के शूरवीर उस महायुद्ध में आए थे
    रखकर जान हथेली पर दुश्मन पर भृकुटि चढ़ाए थे
    हरियाणा के क्रांति पुरोधा तुलाराम कहलाए थे

    ब्रिटिश हुकूमत का बुलंद इतिहास सिमटकर बंद हुआ
    भारत मां के वीरों का फिर से उत्साह बुलंद हुआ
    तुल रही वीरता शस्त्रों पर यमराज लोक आनंद हुआ

    पट गई रक्त से धरणि जंग का महा क्षेत्र चौचंद हुआ.

    प्रबल हुआ इतिहास राजवंशों ने शस्त्र उठाए थे.
    स्वतंत्रता के शूरवीर उस महायुद्ध में आए थे !!

    रखकर जान 0!!

    4 मई सन् सत्तावन को नई क्रांति फिर लहराई
    उत्तर भारत से दहाड़ झांसी वाली रानी आई
    तात्या गुरु और गौस खान ने प्रबल वीरता दिखलाई
    चिंगारी जल उठी वहां और लहर क्रांति की दहकाई.

    था रोष भाव और जोश चढ़ा शंकर सम भृकुटि चढ़ाए थे
    स्वतंत्रता के शूरवीर उस महायुद्ध में आए थे !!

    पूर्वोत्तर की धुरी शत्रु सेना ने दबदबा बना लिया
    अंग्रेजों ने हरियाणा पर अपना परचम लगा दिया
    पता ना इनको चला यहाँ पर आकर मृत्यु को बुला लिया
    सोते हुए सिंह शावक को इन धूर्तों ने जगा दिया.

    मचल गये तब तुलाराम चढ़ गया क्रोध रिसिआए थे
    स्वतंत्रता के शूरवीर उस महायुद्ध में आए थे !!

    रखकर जान 0!!

    मातृभूमि का रक्षक भक्षक बन दुश्मन पर चढ़ आया
    कृष्ण वंश का अंश युद्ध में महाकाल बन लहराया
    कट कटकर गिर रहे फिरंगी रंग रक्त का गहराया
    पांच हजार अहीरों ने वहां पर अपना परचम लहराया.

    देश की खातिर मरे वहां वो भारतवीर कहाऐ थे
    स्वतंत्रता के शूरवीर उस महायुद्ध में आए थे !!

    16 नवम्बर सन् सत्तावन फिरंगियों ने वार किया
    बीस हजार अंग्रेज़ों ने कड़ा प्रपंच प्रहार किया
    चले राव गोपाल देव और युद्ध का भार संवार लिया
    नसीबपुर की युद्धभूमि पर दुश्मन का संहार किया.

    पहले मारे ब्रिटिश बाद में अपने प्राण गंवाऐ थे
    स्वतंत्रता के शूरवीर उस महायुद्ध में आए थे !!

    रखकर जान 0!!

    देख भयंकर वक्त नशा तब राष्ट्रभक्ति का छाया था
    जंग फतह करने के लिए फिर नया दांव अपनाया था
    अवसर पाकर निकल गए और भीषण घात कराया था
    तुलाराम का शौर्य देखकर लंदन भी दहलाया था.

    वीर अहीरों के आगे अंग्रेज़ सभी घबराऐ थे
    स्वतंत्रता के शूरवीर उस महायुद्ध आए में आए थे !!

    हरियाणा की आन बान श्री तुलाराम जी कहलाए
    राजतंत्र और न्याय नीति के महा पुरोधा बन आए
    स्वतंत्रता के महायुद्ध में धूर्त फिरंगी दहलाए
    भारत मां के शूरवीर इतिहास के पन्नों पर छाए.

    जिनकी शौर्य कथाओं पर कवियों ने कलम चलाऐ थे
    स्वतंत्रता के शूरवीर उस महायुद्ध में आए थे !!

    रखकर जान 0!!

    क्रांतिकवि –
    आर्यपुत्र आर्यन सिंह

  • मत हद से ज्यादा प्रेम करो

    मत हद से ज्यादा प्रेम करो।

    मत हद से ज्यादा प्रेम करो,
    मैं समझाता हूं भैया।
    जिन्हें समझ रहे हो तुम अपना,
    वो ही तोड़ेंगे तुम्हारा सपना।
    जब दिल टुटेगा आपका,
    रोओगे बहुत भैया।
    मत हद से ज्यादा प्रेम करो,
    मैं समझाता हूं भैया।

    पहले तो कहेंगी जानू,
    तुम बिन और न मेरा।
    फिर धीरे धीरे से,
    ये धन लूटेंगी तेरा।
    फिर नहीं मिलेगा कोई,
    तुमको उनसे बचैया।
    मत हद से ज्यादा प्रेम करो,
    मैं समझाता हूं भैया।

    इस जग में गुरु समान,
    और देव ना दूजा।
    जो हमको ज्ञान देता है,
    करो उसीकी पूजा।
    गुरु ही है इस जग में,
    हमें भव से पार लगैया।
    मत हद से ज्यादा प्रेम करो,
    मैं समझाता हूं भैया।

    जिन माता पिता ने जन्म दिया,
    तेरे लिए कईओं से बैर लिया।
    मेहनत करके दिन रात थका,
    तेरे पिता ने तेरा ख्याल रखा।
    एक छोरी के चक्कर में,
    उन्हें भूल गया तू भैया।
    मत हद से ज्यादा प्रेम करो,
    मैं समझाता हूं भैया।

    मत बनो यार लैला मजनू,
    बनना है बनो अब्दूल कलाम।
    जो दे गये अग्नि मिसाइल,
    जिन्हें हर कोई करता है सलाम।
    जिससे सारी दुनिया चले,
    तुम बन जाओ एसी नैया।
    मत हद से ज्यादा प्रेम करो,
    मैं समझाता हूं भैया।

    वीरों ने जान गंवाई थी,
    तब हमको मिली आजादी।
    इश्क मोहब्बत के चक्कर में,
    करो न निज बर्बादी।
    बुरे कर्मों में मरोगे तो,
    कोई होगा न कंधा दिवैया।
    मत हद से ज्यादा प्रेम करो,
    मैं समझाता हूं भैया।

    कवि विशाल श्रीवास्तव फर्रूखाबादी