Author: कविता बहार

  • बहुजनों का नायक साहब कांशीराम पर कविता

    कांशीराम पर कविता

    हाथी जैसा चाल,और शेर का दहाड़ था।
    हरि सिंह का लाडला,ओ साहब कांशीराम था।
    बिसन कौर के लाल,रूपनगर में जन्मे।
    डील डौल बालक, बचपन से होनहार था।

    सफर किये वैज्ञानिक तक,ऐसा विद्वान था।
    मान्यवर कांशीराम जी, देश का महान था।
    आदर्श रहे उनके, बाबा साहब अम्बेडकर।
    हमारे ओ मसीहा, दलितों का भगवान था।

    नीला झंडा वाला,बहुजनों का नायक था।
    जोश बढ़ाने वाला,साहब कांशीराम था।
    मनुवाद के खिलाप कर, लोगों को जगाया।
    हम बहुजनों को,वर्ण व्यवस्था समझाया था।


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    रचनाकार – डिजेन्द्र कुर्रे“कोहिनूर”
    पीपरभवना,बलौदाबाजार (छ.ग.)
    मो. 8120587822

  • साहब कांसीराम पर कविता

    साहब कांसीराम पर कविता

    वो साईकिल चलाने वाला
    साहब कांसीराम था।

    वंचित को हक दिलाने वाला
    साहब कांसीराम था।

    बामसेफ को बनाने वाला
    साहब कांसीराम था।

    नीला झंडा उठाने वाला
    साहब कांसीराम था।

    खून में उबाल लाने वाला
    साहब कांसीराम था।

    शुद्र मन पर छाने वाला
    साहब कांसीराम था।

    भीम की याद दिलाने वाला
    साहब कांसीराम था।

    हमें हुक्मरान बनाने वाला
    साहब कांसीराम था।

    मनु की धज्जियाँ उड़ाने वाला
    साहब कांसीराम था।

    सिल्ला’ को पीछे लगाने वाला
    साहब कांसीराम था।

    -विनोद सिल्ला

  • मित्रता पर कविता

    मित्रता पर कविता

    मित्रो के विवाद में संवाद करना चाहिए।
    मित्रो की मित्रता में अमृत रस बना चाहिए।


    मित्र ज्ञानी हो ना हो, सचा होना चाहिए।
    मित्रो में कपट ना हो, प्रेम होना चाहिए।


    समस्या में मित्रो का आसरा लेना चाहिए।
    भूख में मित्र भोजन बनना चाहिए।


    बुद्धि हो ना हो मित्र में परन्तु छल नहीं होना चाहिए।
    कृष्ण, सुदामा जैसा मित्र हर व्यक्ति को मिलना चाहिए।


    शत्रु भी देख कर डर जाए ऐसी मित्रता होनी चाहिए।
    मित्रो के प्रलोभन को हल करना चाहिए।


    दूर से ही मित्रता की भनक लग जाए,

    ऐसी मित्रता करनी चाहिए।

  • घर मंदिर पर कविता

    घर मंदिर पर कविता

    त्याग और सहयोग जहाँ हो
    घर वो ही कहलाता है।
    इक दूजे में प्यार बहुत हो
    घर मंदिर बन जाता है।।1।।

    आँगन में किलकारी गूँजे
    घर बच्चों से भरा रहे।
    नारी का सम्मान जहाँ हो
    प्रेम और सहयोग रहे।।2।।


    बड़े दिखाए स्वयं बड़प्पन
    छोटे आज्ञाकारी हो।
    आपस में सहयोग भाव हो
    जहाँ नही लाचारी हो।।3।।


    संस्कारो का मान जहाँ हो
    मिलजुलकर सहयोग करें।
    ईर्ष्या द्वेष नही हो मन में
    घर में खुशियाँ सदा भरे।।4।।


    अतिथि होता जहाँ देवतुल्य
    हर जन आश्रय पाता है।
    शांति और सहयोग भाव हो
    घर तीरथ बन जाता है।।5।।


    अपने और पराए का भी
    भेद न कोई करता है।
    सुख दुख में सहयोगी बनकर
    भाव बंधु का रखता है।।6।।


    सदाचार का पालन करते
    अपना धर्म निभाते है।
    सहयोग भाव हर मन मे हो
    घर मंदिर कहलाते हैं।।7।।

    © डॉ एन के सेठी

  • संस्कृति पर कविता

    संस्कृति पर कविता

    अपनी संस्कृति अपनाओ,
    अपना अभिवादन अपनाओ!
    जब भी मिले दूसरो से ,
    हाथ जोड़ मुस्कुराओ !!
    हाथ जोड़ मुस्कुराओ,
    कोरोना दूर भगाओ!
    हाथ धोये साबुन से
    थोड़ा न घबराओ !!
    कहे दूजराम पुकार के ,
    सावधानी अपनाओ!
    खांसते मास्क लगाओ
    कोरोना दूर भगाओ !!

    दूजराम साहू
    निवास -भरदाकला
    तहसील -खैरागढ़
    जिला- राजनांदगाँव (छ.ग. )