Author: कविता बहार

  • हारे जीत पर दोहे

    हारे जीत पर दोहे


    पीर जलाए आज विरह फिर,बनती रीत!
    लम्बी विकट रात बिन नींदे, पुरवा शीत!

    लगता जैसे बीत गया युग, प्यार किये!
    जीर्ण वसन हो बटन टूटते, कौन सिँए!
    मिलन नहीं भूले से अब तो, बिछुड़े मीत!
    पीर जलाए आज विरह फिर, बनती रीत!

    याद रहीं बस याद तुम्हारी, भोली बात!
    बाकी तो सब जीवन अपने, खाए घात!
    कविता छंद भुलाकर लिखता, सनकी गीत!
    पीर जलाए आज विरह फिर, बनती रीत!

    नेह प्रेम में रूठ झगड़ना, मचना शोर!
    हर दिन ईद दिवाली जैसे, जगना भोर!
    हर निर्णय में हिस्सा किस्सा, हारे जीत!
    पीर जलाए आज विरह फिर,बनती रीत!

    याद सताती तन सुलगाती, बढ़ती पीर!
    जितना भी मन को समझाऊँ, घटता धीर!
    हुआ चिड़चिड़ा जीवन सजनी,नैन विनीत!
    पीर जलाए आज विरह फिर, बनती रीत!

    प्रीत रीत की ऋतुएँ रीती, होती साँझ!
    सुर सरगम मय तान सुरीली, बंशी बाँझ!
    सोच अगम पथ प्रीत पावनी, मन भयभीत!
    पीर जलाए आज विरह फिर, बनती रीत!

    सात जन्म का बंधन कह कर, बहके मान!
    आज अधूरी प्रीत रीत जन, मन पहचान!
    यह जीवन तो लगे प्रिया अब, जाना बीत!
    पीर जलाए आज विरह फिर, बनती रीत!
    . °°°°°°°°°°°°
    ✍©
    बाबू लाल शर्मा बौहरा
    सिकंदरा दौसा राजस्थान
    ???????????

  • प्रीत की बाजी पर कविता

    प्रीत की बाजी पर कविता

    कल्पना यह कल्पना है,
    आपके बिन सब अधूरी।
    गया भूल भी मधुशाला,
    वह गुलाबी मद सरूरी।

    सो रही है भोर अब यह,
    जागरण हर यामिनी को।
    प्रीत की ठग रीत बदली,
    ठग रही है स्वामिनी को।
    दोष देना दोष है अब,
    प्रीत की बाजी कसूरी।
    कल्पना यह कल्पना है,
    आपके बिन सब अधूरी।

    प्रीत भूले रीत को जब,
    मन भटक जाता हमारा।
    भूल जाता गात कँपता,
    याद कर निश्चय तुम्हारा।
    सत्य को पहचानता मन,
    जगत की बाते फितूरी।
    कल्पना यह कल्पना है,
    आपके बिन सब अधूरी।

    उड़ रहा खग नाव सा मन,
    लौट कर आए वहीं पर।
    सोच लूँ मन मे भले सब,
    बात बस मन में रही हर।
    प्रेम घट अवरोध जाते,
    हो तनों मन में हजूरी।
    कल्पना यह कल्पना है,
    आपके बिन सब अधूरी।

    प्रेम सपन,तन पाश लगे,
    यह मन मे रही पिपासा।
    शेष जगत में बची नहीं,
    अपने मन में जिज्ञासा।
    आओ तो जी भर देखूँ,
    कर दो मन्शा यह पूरी।
    कल्पना यह कल्पना है,
    आपके बिन सब अधूरी।
    . °°°°°°°
    ✍©
    बाबू लाल शर्मा बौहरा
    सिकंदरा दौसा राजस्थान
    ?????????

  • राज दरबारी पर कविता

    राज दरबारी

    वो हैं बड़े लेखक
    नवाजा जाता है उन्हें
    खिताबों से
    दी जाती है
    सरकार द्वारा सुविधाएं
    नाना प्रकार की
    बदले में
    मिलाते हैं वे कदम-ताल
    सरकार से
    कर रहे हैं निर्वहन
    राज-दरबारियों की
    परम्परा का
    उनकी लेखनी ने
    मोड़ लिया मुंह
    आमजन की वेदना से
    हो गए बेमुख संवेदना से
    चंद राजकीय
    रियायतों के लिए

    -विनोद सिल्ला©

  • सदमा पर लघु कथा

    सदमा पर लघु कथा

    दो महीने हो गये। शांति देवी की हालत में कुछ भी सुधार ना हुआ। पुरुषोत्तम बाबू को उनके मित्रों और रिश्तेदारों ने सुझाव दिया कि एक बार अपनी पत्नी को मनोचिकित्सक से दिखवा लें। पुरुषोत्तम बाबू को सुझाव सही लगा। अगले ही दिन अपने बड़े पुत्र सौरभ एवं पुत्रवधू संध्या के साथ अपनी पत्नी को लेकर शहर के प्रसिद्ध मनोचिकित्सक के पास पहुंच गये।

    डॉक्टर साहब ने मरीज की समस्या पूछी तो पुरुषोत्तम बाबू ने बताया – “क़रीब दो महीने से मेरी पत्नी ने मौन व्रत धारण कर रखा है। चुपचाप बैठी रहती है। ऐसा लगता है जैसे किसी बड़ी समस्या पर गहन चिंतन कर रही हो। किसी के भी पूछने पर ना ही मौन व्रत धारण करने का कारण बताती है और ना ही कुछ बोलती है। बाकी दिनचर्या पूर्व की भांति यथावत है।”

    मरीज़ की समस्या जानने के बाद कुछ सोचकर डॉक्टर साहब ने पुरुषोत्तम बाबू को अपने पुत्र व पुत्रवधू के साथ कुछ देर चिकित्सक कक्ष से बाहर बैठने को कहा।

    उन लोगों के बाहर जाने के बाद डॉक्टर साहब ने शांति देवी से कहा – “मैं आपकी समस्या समझता हूं। इसी समस्या से कुछ दिनों पहले तक मेरी पत्नी भी ग्रसित थी। जब बेटा ही जोरू का गुलाम हो जाये तो बहू वश में कैसे रहेगी? लेकिन जबसे मैंने अपनी पत्नी को एक नायाब तरीक़ा बताया है तब से मेरे घर में सब कुछ मेरी पत्नी के इच्छानुसार ही होता है।”

    इतना सुनते ही शांति देवी अचानक से बोल पड़ीं – “ऐसा कौन-सा तरीक़ा है? कृपया मुझे भी बताइये।

    “आपने अभी तक कौन-कौन से तरीक़े आज़माये हैं? पहले वह तो बताइये। तभी तो मैं आपकी समस्या का सटीक समाधान निकाल पाऊंगा।” डॉक्टर साहब ने चतुराई से पूछा।

    शांति देवी ने कहा – “हिंदुस्तान की सासों और ननदों ने आज तक जितने तरीक़े अपनाये होंगे, मैंने और मेरी बेटी ने उन सभी को आज़मा कर देख लिया। हम दोनों ने मिलकर बहू को अनगिनत शारीरिक और मानसिक यातनाएं दीं। बेटे और बहू को अलग करने के लिए भी दोनों के बीच हर रोज़ ग़लतफ़हमी फैलाने की कोशिश की। दोनों को सामाजिक रूप से बदनाम करने का हमने हरसंभव प्रयास किया। आर्थिक रूप से पंगु बना दिया। जिसमें मेरे पति ने भी बखूबी मेरा साथ दिया। पोते के जन्म के एक माह पश्चात ही मैंने अपने बड़े बेटे को उसकी पत्नी और बच्चे सहित एक वर्ष के लिए घर से निकाल दिया। हर तरह से लाचार बना दिया। लेकिन मेरे बेटे के दिल में अपनी पत्नी के लिए प्रेम तनिक भी कम ना हुआ और हर तरह से उसकी रक्षा करता रहा। यह बात मेरे लिए बर्दाश्त से बाहर था। जब मुझे लगा कि मैं अपने बड़े बेटे के जीते जी अपनी बहू को अपनी मुट्ठी में करके नहीं रख सकती तो मैंने और मेरी बेटी ने मिलकर दो महीने पहले अपने बड़े बेटे को आग लगाकर जान से मारने की कोशिश भी की। लेकिन मेरे पति और मेरी बहू उसे बचाने में सफल हो गये। इस घटना के एक दिन बाद ही मैंने अपनी बहू के कमरे से हंसने की आवाज सुनी। यह सुनकर मुझे सदमा लग गया। आख़िर इतनी प्रताड़ना सहने के बाद भी मेरा बेटा और मेरी बहू आपस में खुश कैसे हैं? अब मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मैं हार गयी हूं। परंतु, आपने बताया कि कोई नायाब तरीक़ा है आपके पास। मैं वो जानना चाहती हूं।”

    डॉक्टर साहब अब तक अपने क्रोध को छुपाये हुए विस्मित होकर सुन रहे थे। दो मिनट के मौन के बाद डॉक्टर साहब ने कहा – “मेरे कक्ष में सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ है। आपने अभी जो कुछ भी कहा वो रिकॉर्ड हो चुका है। आपके इकबाले जुर्म और आपके पुत्र एवं पुत्रवधू की शिकायत पर आपको आजीवन कारावास की सज़ा हो सकती है। लेकिन मैं जानता हूं आपके पुत्र व पुत्रवधू ऐसा नहीं होने देंगे। शांति देवी! आप जैसी औरतों का इलाज़ इस सृष्टि में तब तक कोई नहीं कर सकता, जब तक भारत में सौरभ जैसे पुत्र के संग संध्या जैसी पुत्रवधू होगी।”

    :- आलोक कौशिक

    संक्षिप्त परिचय:-

    नाम- आलोक कौशिक
    शिक्षा- स्नातकोत्तर (अंग्रेजी साहित्य)
    पेशा- पत्रकारिता एवं स्वतंत्र लेखन
    साहित्यिक कृतियां- प्रमुख राष्ट्रीय समाचारपत्रों एवं साहित्यिक पत्रिकाओं में दर्जनों रचनाएं प्रकाशित
    पता:- मनीषा मैन्शन, जिला- बेगूसराय, राज्य- बिहार, 851101,
    अणुडाक- [email protected]

  • शिव-शक्ति पर कविता

    प्रस्तुत कविता शिव शक्ति पर आधारित है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव महादेव, भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि नामों से भी जाना जाता है।

    शिव-शक्ति पर कविता

    शिव शक्ति का रूप है
    शक्ति बड़ी अनूप है
    कहते भोले भंडारी
    शिव को मनाइए।।1।।

    शीश पर गंग धारे
    भक्तों के कष्ट उबारे
    मृत्युंजय महाकाल
    मृत्यु से उबारिए।।2।।

    जटाजूट मुंडमाला
    सर्पहार गले डाला
    गिरिप्रिय गिरिधन्वा
    भवसागर तारिये।।3।।

    नंदी की करे सवारी
    शिव है पिनाकधारी
    शशिशेखर श्रीकंठ
    दरस दिखाइए ।।4।।

    अर्द्धनारीश्वर रूप
    शिव सुंदर स्वरूप
    भगवान पुराराति
    कृपा बरसाइये।।5।।

    चंद्रशेखर कामारि
    रुद्र त्रिपुरान्तकारि
    विश्वेश्वर सदाशिव
    पास में बुलाइए।।6।।


    हलाहल पान करे
    अमृत का दान करे
    गिरीश कपालधारी
    दुर्गुण हटाइये।।7।।


    त्रिनेत्र शिवशंकर
    शाश्वतअभयंकर
    अष्टमूर्ति शिव भोले
    अभय दिलाइये।।8।।

    ©डॉ एन के सेठी