Author: कविता बहार

  • सफलता पर कविता

    सफलता पर कविता

    मन मे जोश उमंग भर लो,
    तुम्हे नया आकाश मिलेगा,
    आसमान को जरूर छू लो गे,
    रखो तुम मन मे विश्वास।
    ख्वाहिश को खामोश रखो,
    सफलता की ओर आगे बढ़ो,
    अहंकार कभी ना करना,
    मेहनत तुम करते जाओ।
    हार-जीत के बारे मे सोचो ना,
    कठिन राह से कभी डरो ना,
    सफलता प्राप्त करोगे तुम,
    कठिन राह से डरना नही।
    कड़ी चुनौती हर मोड़ पर,
    सामना तो करना होगा,
    संघर्षों के कुरूक्षेत्र मे,
    अर्जुन बनकर छाना होगा।
    जब तेरे साथ कोई ना हो,
    ईश्वर पे तु विश्वास रख,
    सफल होना कुछ दूर नही,
    वो सफलता है कोई नूर नही,
    तु कर प्रयत्न करते जा,
    लगेंगे उसमे दो-चार दिन।
    मन मे जोश उमंग भर लो,
    तुम्हे नया आकाश मिलेगा।।
    ✍?✍?
    *परमानंद निषाद*

  • वीर जवान पर कविता

    वीर जवान पर कविता

    वीर जवान पर कविता

    वीर जवान पर कविता

    मान करे,सम्मान करे,
    वीर जवान का गुणगान करे,
    देश की सीमा मे रक्षा करते,
    हम सब मिलकर सम्मान करे।

    कश्मीर की सीमा मे तैनात है,
    हमारे वीर जवान,
    दुश्मनों की वार को,
    गोली से जवाब देते है।

    हिन्दू ,मुस्लिम,सिख,ईसाई,
    सभी है भाई-भाई,
    देश के जवान भाषा बोले,
    सीमा पर बंदूक की गोली से।

    पहरेदारी करते दिन-रात,
    सीमा पर खड़े वीर जवान,
    देश के जवान भाषा बोले,
    वंदे मातरम्…जय हिन्द बोले।

    पुलवामा सर्जिकल स्ट्राइक से,
    हमारे कई जवान शहीद हुए,
    पाकिस्तान मे बंधक बने,
    वीर जवान अभिनंदन सिंह।

    विजय होकर जब भारत लौटे,
    अभिनंदन का गुणगान हुआ,
    गणतंत्र दिवस सभी मनाते,
    सब मिलकर गान करे।

    बच्चों को सब जवान बनाओ,
    वीर जवान का गुणगान सुनाओ,
    हिन्दुस्तानी सब भाई-भाई,
    किसी से भेदभाव करते नही।

    गणतंत्र दिवस सभी मनाते,
    भारत का गुणगान करते है,
    भारत की सुरक्षा बढ़ाओ,
    सरकार से निवेदन करते है।।
    ✍?✍?
    *परमानंद निषाद निठोरा,छत्तीसगढ*

  • निषादराज के दोहे

    *निषादराज के दोहे*

    (1) *दामिनी*
    देखा जबसे दामिनी,चकाचौंध अब नैन।
    होश हुआ मदहोश अब,ढलने को अब रैन।।

    (2) *व्योम*
    व्योम हुआ गहरा बहुत,बादल छाये आज।
    नहीं मिला अब चैन भी,नहीं हुआ कुछ काम।।

    (3) *पुलकित*
    माँ का आशीष है मिला,जीवन में उल्लास।
    पुलकित मेरा तन हुआ,हुआ मुझे विश्वास।।

    (4) *द्रवित*
    नैन द्रवित मेरा हुआ,खुशियाँ मिले हजार।
    मन मेरा शीतल हुआ, पा कर अपना प्यार।।

    (5) *संकट*
    संकट मोचन नाम है,महाबली हनुमान।
    लाल कहाए अंजनी,रघुवर के हित जान।।

    (6) *आशीष*
    माँ की ममता से बड़ा,माँ का है आशीष।
    इन्हें नमन करता रहूँ,मान इन्हें जगदीश।।

    (7) *उपकृत*
    उपकृत हूँ माँ आपकी,मैं तेरा संतान।
    जीवन तूने है दिया,करूँ सदा गुणगान।।

    (8) *साक्ष्य*
    सत्य मार्ग पर चल पड़ो,साक्ष्य यहाँ भगवान।
    वो ही अपना मान है,और वही ईमान।।

    (9) *पुष्ट*
    हृष्ट-पुष्ट तन को रखो,कर के नित तुम योग।
    मन भी चंचल होय जब,काया होय निरोग।।

    (10) *निर्णय*
    निर्णय करना आप ही,करना जो हो काम।
    तभी सफलता हैं मिले,मिले मान औ नाम।।

    बोधन राम निषादराज”विनायक”
    सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम(छ.ग.)

  • लाजवाब जोड़ा कविता

    लाजवाब जोड़ा कविता
    -विनोद सिल्ला

    रहता है
    हमारी लॉबी में
    चिड़ियों का जोड़ा
    इनमें है अत्यधिक स्नेह
    नहीं रहते पल भर
    एक-दूसरे से दूर
    नहीं है इनमें
    सॉरी-धन्यवाद सी
    औपचारिकताएं
    ये बात-बात को
    नहीं बनाते
    नाक का सवाल
    रखते हैं
    एक-दूसरे का ख्याल
    नहीं उतारते
    बाल की खाल
    दोनों में से
    किसी के मुंह
    कभी नहीं सुनी
    ससुराल की शिकायत
    मुझे लगा
    यह जोड़ा
    लाजवाब

  • बहादुरों पर कविता

    बहादुरों पर कविता


    (1)
    तिलक लगा ले माथे पर,
    शस्त्र उठा ले हाथों पर।
    वन्दे मातरम की गूंज से,
    निकल पड़े मैदानों पर।
    (2)
    योगेंद्र अनुज अमोल विजयंत,
    जाबाज सिपाही थे कारगिल पर।
    कर चड़ाई टाइगर हिल में,
    दिखा दी साहस अपने दम पर।
    (3)
    तोपे जब चली रण पर,
    गोले बरस रहे थे उन पर।
    कदम बढ़ रहे थे वीरों की,
    भारी पड़ रहे थे दुश्मनों पर।
    (4)
    रक्षा करते हम मानव को,
    नाज है उन बहादुरों पर।
    कारगिल के इन सपूतों का,
    नमन करूँ इनकी कुर्बानी पर।
    (5)
    आँच न आएं देश में,
    तैनात रहते वो सरहद पर।
    देश के वीर जवानों ने,
    तिरंगा की शान बचाने पर।
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    रचनाकार डिजेन्द्र कुर्रे”कोहिनूर”
    पिपरभावना, बलौदाबाजार(छ.ग.)
    मो. 8120587822