Author: कविता बहार

  • एहसास कविता

    एहसास कविता

    जब मै तुमको देखा तो
    मन मे हलचल होने लगी ।
    दिल में एक अहसास हुआ,
    लगा की मुझे प्यार होने लगा ।

    दिल धड़कने लगा जोर से,
    जब से तुमको मैने देखा है ।
    मेरे दिल को न जाने क्या हुआ
    जब से तुमको मैने देखा है ।

    नींद उड़ गई चैन खो गया
    दिल को क्या हो गया।
    मन में एक छवि दिखती
    ना जाने मुझे क्या हो गया ।

    आंखों ही आंखों प्यार हुआ है
    दिल में ये अहसास हुआ है ।
    दिल को मै कैसे समझाऊं
    दिल में तेरा जादू हुआ है ।

    मेरी आंखें लड़ी तेरे आंखों से
    पहली बार तो तुझे देखा है ।
    पहले कभी ऐसा नही हुआ है
    क्या प्यार की नजरों से तुझे देखा है ।

    तुझसे प्यार हुआ दिल धड़कने लगा
    तेरा ही अहसास हुआ है ।
    तेरे प्यार मे कैसा रंग बदला है
    मन ही मन में अहसास हुआ है ।

  • सुंदरता पर कविता

    सुंदरता पर कविता

    *प्रकृति की सुंदरता को देखकर,*
    *मेरा मन प्रसन्न हो गया,*
    *प्रकृति की गोद मे अपनी सारी जिंदगी यही कही खो गया,*
    *कभी सुखी धरा पर धूल उड़ती है,*
    *तो कभी हरियाली की चादर ओढ़ लेती है,*
    *प्रकृति की सुंदरता हो ना हो,*
    *उसमे सादगी होना चाहिए,*
    *प्रकृति मे खूशबू हो ना हो,*
    *उसमे महक होना चाहिए,*
    *प्रकृति मे हमेशा सुंदरता हो ना हो,*
    *प्रकृति की सुंदरता हमेशा,*
    *बनाये रखने की कोशिश करना चाहिए,*
    *प्रकृति हमारे जीवन के अमूल्य हिस्सा है,*
    *उसकी सुंदरता हमेशा बनाये रखो,*
    *और पेड़ लगाते जाओ।।*
    ✍?✍?
    *परमानंद निषाद*

  • हौसले पर हिंदी कविता

    हौसले पर हिंदी कविता

    हौसला हर व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण है, खासकर जब हम परिस्थितियों के खिलाफ स्थिर रहने के लिए अपना विश्वास खो देते हैं। यह हमें हार नहीं मानने की शक्ति और उत्साह प्रदान करता है, और हमें अग्रसर करने के लिए पुनः प्रेरित करता है।

    हिंदी कविता : हौसलों की उड़ान

    हौसले पर हिंदी कविता
    child climbs confidently up the ladder against the blue sky. copy space for your text


    हौसलों की उड़ान मत कर कमजोर,
    अभी पूरा आसमान बाकी है,
    परिंदों को दो खुला आसमान,
    सपनों को परिंदों सी उड़ान दो।


    यूं जमीन पर बैठकर,
    क्यूं आसमान देखता है,
    पंखों को खोल जमाना,
    सिर्फ उड़ान देखता है।
    तेरा हर ख्वाब सच हो जाए,
    रख जज्बा कुछ करने का ऐसा,
    कर भरोसा खुद पर इतना,
    कि तेरी सपनों की उड़ान नजर आए।


    सपनों की उड़ान लेकर चली,
    एक नन्ही सी जान,
    हौसले बुलंद थे उसके,
    छूना था उसे आसमान।
    सपनों की उड़ान आसान नहीं होती,
    इसके पीछे त्याग छुपा होता है,
    इसके ये सपनों की उड़ान हैं जनाब,
    यहां ऐसे ही उड़ना पड़ता है।

    हौसले की उड़ान भरकर,
    छू लूंगा मैं लक्ष्य रूपी आसमान,
    सफलता मेरे कदम चूमेगी,
    कदमों में होगा ये सारा जहां।।

    *परमानंद निषाद*

    हौसले पर हिंदी गजल

    कम भी नहीं है हौसले गिर भी पड़ी तो क्या हुआ।
    है जिन्दगी के सामने बाधा खड़ी तो क्या हुआ ।।
    चल दूँ जिधर खुद रास्ता मिलता मुझे ही जाएगा।
    टूटी अगर रिश्तों की’ इक नाजुक कड़ी तो क्या हुआ।।


    मैं ढूँढ लूँगी राह को अपना हुनर मैं जानती।
    वो साथ दे या बाँध ही दे हथकड़ी तो क्या हुआ।।
    सर पे बिठा रक्खा था मैंने बेवफा को आज तक।
    सारी हदों को तोड़कर मैं ही लड़ी तो क्या हुआ।।


    जब गीत सारे प्यार के मुरझा गये सहराहों में।
    फिर बारिशों की लग पड़ी रोती झड़ी तो क्या हुआ।
    इक भूल ने ही जिन्दगी जीना हमें सिखला दिया।
    गर वक्त की चोटें हमें खानी पड़ी तो क्या हुआ।।


    ताकत यही मैं टूटकर बिखरी नहीं हूँ आज तक।
    आराम की आई नहीं अब तक घड़ी तो क्या हुआ।।

    डॉ. सुचिता अग्रवाल”सुचिसंदीप”
    तिनसुकिया, असम

  • गांव पर दोहे

    गांव पर दोहे

    गांव पर दोहे

    शहर नगर में विष घुले, करे जोर की शोर।
    शुद्ध हवा बहने लगी, चलो गांव की ओर।।१।।

    गांव पर दोहे

    तेज गमन की होड़ में, उड़े बड़े ही धूल।
    मुक्त रहो इस खेल से, बात नही तुम भूल।।२।।

    शांत छांव में मन मिले, कष्ट मिटे अति दूर।
    हरा भरा तरु देखना, घूमें गांव जरूर।।३।।

    धान फसल की बालियां, लगते कनक समान।
    अन्न उगाकर बांटते, देव स्वरूप किसान।।४।।

    गाय पहट पंछी उड़े, कई देख लो चाल।
    कमल खिले जब रवि उगे, नदी और है ताल।।५।।

    नीर भरे सब नारियां, नाचे वन में मोर।
    आम डाल कोयल कुके, चलो गांव की ओर।।६।।

    स्वरचित – तेरस कैवर्त्य’आंसू’
    सोनाडुला, (बिलाईगढ़)
    जिला – बलौदाबाजार (छत्तीसगढ़)
    संपर्क सूत्र 9165720460
    Email: [email protected]

  • गुण की पहचान पर कविता

    गुण की पहचान पर कविता

    वन में दो पक्षी, दिख रहे थे एक समान।
    कौन हंस है कौन बगुला, कौन करे पहचान।

    बगुला बड़ा था घमंडी, कहता मेरे गुण महान।
    तेज उड़ सकता हूं तुझसे, कह रहा था सीना तान।

    झगड़ा सुनकर कौवा आया, श्रेष्ठता के लिए करो उड़ान।
    नम्र भाव से होकर हंस तैयार, उड़ चला दूर आसमान।

    थक गया जब बगुला, बदली अपनी टेढ़ी चाल।
    नाटक किया कमजोरी का, पहना था वह शेर की खाल।

    दोनों पहुंचे मोर के पास, लेकर न्याय की आस।
    गजब तरीका सुझाया उसने, पता चलेगा उनकी खास।

    मंगवाया पानी मिला दूध मोर ने, रख दी सामने दो कटोरी।
    बगुला पी गया पूरा दूध-पानी, हंस दूध पीकर पानी को छोड़ी।

    शर्मिंदा हुआ बगुला, माफी मांग किया नमस्कार।
    हो गया पहचान सत्य की, सदा होती है जय जय कार।

    मोबाइल नंबर 9977234838