सुंदर और अच्छे में भेद

सुंदर और अच्छे में भेद युवावस्था में सुंदर दिखते हैं सभी,चाह होती है,उम्र की परवाह होती है,श्रृंगार से प्रेम,दर्पण से लगाव,घण्टों निहारते अपने हाव-भाव,आधुनिक परिधानों से सुसज्जित,भीड़ में अलग दिखने की चाह में भ्रमित!किंतु–प्रौढ़ावस्था में,श्रृंगार बदलने लगता है,कभी मन मचलता था अब,शांत रहने लगता है!सुर्ख,चटक रंगों को छोड़,मन जोगिया चुनने लगता है,भीड़,शोर से दूर,एकांत में … Read more

ख्वाब में प्रिय

ख्वाब में प्रिय रात ख्वाब में देखा प्रिय,,मैंने तुम्हारा साथ हो,,झट आई बिछावन पे,,और बोली करो प्यार की बात हो,,        है तू मेरी हर साँस में,        सबसे अलग तू खास में,,       मत देख यूँ अब आ लिपटकर,,       गुजार लूँ आज की रात हो,, की कंपकंपाती सर्द के दिन,,और उम्र में मैं बहुत कमसीन,,फिर … Read more

कविता का संसार

कविता का संसार गीतों ने संसार रचायाहंसी-खुशी के ताल संग।अलंकारों की झंकार मेंनाचता है छमछम छंद।। नायिका के ख्वाब सजानेनायक चाँद-सितारे लायानदिया गीत सुहाने गायेगूंजे निर्झर कलकल नाद दुःख -सुख की अजब रंगोलीविरह-मिलन की गमगीनीडूब-उबरते जाने कितने प्रेमीप्रीत के सागर में।। रंगमंच के इस खेले मेंनवरस में डूबे चारणकभी ओज में शब्द गूंजतेकभी भक्ति में … Read more

अकड़ पर कविता

अकड़ पर कविता जीवन के इस उम्र तकना जाने कितने मुर्दे देखे।  कितनो को नहलाया   तैयार भी कियाऔर पाया    केवल अकड़सचमुच मुर्दो में अकड़ होती है  लेकिन जीते जी इंसान   क्यूं दिखाते है अकड़         क्या वे मुर्दे के समान है         या यही उनकी पहचान हैमरना तो सब को हैफिर अकड़ अभी से क्यूं??   जियो जी … Read more