Author: कविता बहार

  • साँझ के हाइकु

    साँझ के हाइकु

    साँझ के हाइकु

    हाइकु

    1
    साँझ महके
    प्रिया जूड़े में फँसा
    पिया को ताके ।।

    2
    साँझ पुकारे
    सूर्य शर्म से लाल
    चाँद जो झाँके ।।

    3
    साँझ का सूर्य
    बूढ़े की सुनो कोई
    देर क्यों हुई ?

    4
    रातें डराती
    प्रभू भजने लगी
    संध्या की ज्योति ।।

    5
    साँझ का मन
    थका , बुझा, रूठा सा
    पार्टी हो जाए ।।

    6
    साँझ का गीत
    मन चाहता मीत
    बढ़ा लें प्रीत ।।

    7
    अच्छा दिन था
    साँझ खुशी से लौटा
    कल की चिंता ।।

    8
    लोग लौटते
    संध्या विदा कर के
    थके सो गए ।।

  • कैसे जीना भा गया

    कैसे जीना भा गया

    कैसे जीना भा गया

    दिल में जब तेरा खयाल आता है,
    बस एक ही सवाल आता है,
    न तुम्हें सोच पाती हूँ,
    और न लिख पाती हूँ,
    तुम्हारी यादें अब भी आती हैं,
    दर्द के लहरों से टकरा लौट जाती हैं,
    महसूस करना चाहता है तुम्हें दिल,
    पर पहले ही तड़प उठता है,
    उस दर्द की सिहरन से,
    जिसे दिल ने महसूस किया है,
    काश तुम समझ पाते,
    दिल की अनकही बातों को,
    हो सके तो महसूस करना,
    मेरी तड़पती रातों को,
    जाते-जाते ये तो बता दो,
    कैसे फरेब करना तुम्हें आ गया,
    भुला कर मुझे तुम्हें,
    कैसे जीना भा गया।।    

    मधुमिता घोष “प्रिणा”

  • दुनिया में मोर बजरंगी के नाम बड़े हे

    दुनिया में मोर बजरंगी के नाम बड़े हे

    दुनिया में मोर बजरंगी के नाम बड़े हे

    दुनिया में मोर बजरंगी के नाम बड़े हे ।
    नाम बड़े हे दुनिया में  काम बड़े हे।
    दुनिया में मोर बजरंगी के नाम बड़े हे ।

    राम नाम दिन रात जपत हे करे राम के काम ।
    भरत सही पिरोहिल राम के ह्रदय लगाये राम ।
    सूरज को लीलने  वाला के नाम बड़े हे ।
    दुनिया में मोर बजरंगी के नाम बड़े हे।

    अवध पुरी में बंदर बन आगे भोला  के अवतारी ।
    अपने बनगे बंदर शिवजी अपने बने मदारी ।
    नाच के राम रिझइय्या के काम बड़े हे ।
    दुनिया में मोर बजरंगी के नाम बड़े हे।

    ब्राह्मण बनके मिले राम  से  होइस जब बनवास।
    बाली के ड़र मा रिष्यमूक मा सुग्रीव करे निवास ।
    राम सुग्रीव के मिलईया  के काम बड़े हे ।
    दुनिया में मोर बजरंगी के नाम बड़े हे ।

    सीता के पता लगाये खातिर कइसे समुन्दर नापे।
    रावन के तँय बाग उजारे दानव दल हा कांपे ।
    पूछी में  लंका जलईया के काम बड़े हे ।
    दुनिया में मोर बजरंगी के नाम बड़े हे ।

    विभीषन संग करे मिताई लंका के भेद ला पाये ।
    माँ सीता के गोद मा मुँदरी  ला तंही गिराये ।
    सीता के दुखः हरईया के नाम बड़े हे ।
    दुनिया में मोर बजरंगी के नाम बड़े हे ।

    माता के आगू हाथ जोड़ के अपन पता बताये।
    राम दूत मैं मात जानकी हनुमत नाम धराये।
    सीता के पता लगईया के काम बड़े हे ।
    दुनिया में मोर बजरंगी के नाम बड़े हे।

    शक्ति बाण लगे लक्ष्मण ला रामा नीर बहाये ।
    द्रोणागिरि पर्वत के संग मा बैद सुखेन ला लाये ।
    लखन के प्राण बचईया के काम बड़े हे ।
    दुनिया में मोर बजरंगी के नाम बड़े हे ।

    कतका तोर मँय काम गिनावंव कतका भक्ति बतावंव ।
    राम चरण संग बजरंगी मँय तोरो चरण मनावंव ।
    मोरो दुखः हरईया  के काम  बड़े हे ।
    दुनिया में मोर बजरंगी के नाम बड़े हे ।
    नाम बड़े हे राम जी ओकर काम बड़े हे ।।
    दुनिया में –

    केवरा यदु “मीरा “

  • आओ प्रिय कोई नवगीत गाएँ

    आओ प्रिय कोई नवगीत गाएँ

    आओ प्रिय कोई नवगीत गाएँ

    chandani raat
    HINDI KAVITA || हिंदी कविता


    चलो जीवन में कुछ परिवर्तन लाएँ
    कुछ अच्छा याद रखें कुछ बुरा भूल जाएँ
    आओ प्रिय मैं से हम हो जाएँ।

    यादों का पुलिंदा जीवन में
    जाने कब से सिसक रहा है
    आओ प्रिय कुछ गिले-शिकवे मिटाएँ।

    शिद्दत से चाहा था कभी हमें
    मुद्दत से वो दौर नहीं आया
    अनकही सी पहेली है जीवन
    आओ प्रिय कुछ सवालों को सुलझाएँ।

    क्या कभी क्षीण लम्हों को तुम जीवंत बना पाओगे?
    क्या कभी तुम मुझे समझ पाओगे?
    क्या कभी मुझे स्नेह दे पाओगे?
    मेरे मासूम सवालों को कभी सुलझाओगे?

    काश ! कितना सुंदर होता
    यदि तुम्हारा जवाब हां होता
    जीवन बगिया में बहारों का समां होता
    मौसम ने ये बेईमां होता
    दर्द का न कोई इंतहां होता।

    फिर से “मैं”  से हम हो जाते
    नवरस नवरंग में हम घुल जाते
    दफन एहसास समझा पाते।

    क्यों न एक नव परिवर्तन लाएँ
    मर्म मेरा समझो जिद अपनी छोड़ो
    आओ प्रिय हृदय तार जोड़ो
    झंकृत कर दे जीवन को जो
    वो बंधन न तोड़ो।

    फिर से इक मधुमास लाएँ
    कुछ अच्छा याद रखें कुछ बुरा भूल जाएँ
    आओ प्रिय मैं से हम हो जाएँ।

  • गीत अब कैसे लिखूं

    गीत अब कैसे लिखूं

    गीत अब कैसे लिखूं

    स्वप्न आंखों    में  मरे  हैं,
    पुहुप खुशियों के झरे  हैं,
    गीत  अब   कैसे   लिखूं।।


    सूखती सरिता नयन की,
    दिन फिरे चिंतन मनन की।
    अब  निभाता  कौन  रिश्ता,
    सात  जन्मों  के वचन की।।
    प्रिय जनों  के  साथ   छूटे,
    शेष   अपने    वही   रूठे।
    गीत  अब   कैसे    लिखूं।।

    हसरतों   के     झरे   पत्ते,
    वृक्ष  से   उघरे  हुए   हम।
    कर तिरोहित पुण्य पथ को,
    धूल  से  बिखरे  हुए  हम।।
    अनकही  सी  भावना  पर,
    मौन  मन  की कामना  पर।
    गीत   अब   कैसे    लिखूं।।


    देह गलती जा  रही  है,
    उम्र    ढलती  जा  रही  है।
    जिंदगी   से    जूझने    की,
    साध   पलती  जा  रही  है।।
    हो   चला   विश्वास    बंदी,
    प्रेम   में   हो   रही     मंदी।
    गीत   अब   कैसे     लिखूं।।


    हादसों  के  ढेर  पर    अब,
    काल के  इस फेर पर अब।
    छद्म  वाले   आचरण    के,
    हैं  धुले  से   संस्मरण   पर।
    मुफलिसी   के हाल  पर  मैं,
    सितमगर  के  जाल  पर  मैं।
    गीत  अब      कैसे  लिखूं।।


    संतोषी महंत “श्रद्धा”
    कोरबा(छ.ग.)