Category दिन विशेष कविता

तन पर कविता-रजनी श्री बेदी

तन पर कविता हर मशीन का कलपुर्जा,मिल जाए तुम्हे बाजार में।नहीं मिलते हैं तन के पुर्जे,हो  चाहे उच्च व्यापार में। नकारात्मक सोचे इंसा तो, सिर भारी हो जाएगा।उपकरणों की किरणों से  , चश्माधारी  हो जाएगा।जीभ के स्वादों के चक्कर में,न डालो पेनक्रियाज…

संयुक्त राष्ट्र दिवस पर कविता-अरुणा डोगरा शर्मा

संयुक्त राष्ट्र दिवस पर कविता मैं पृथ्वी,सुनाती हूं अपनी जुबानी साफ जल, थल, वायु से,साफ था मेरा जीवमंडल।मानव ने किया तिरस्कार,बर्बरता से तोड़ा मेरा कमंडल।दूषित किया जल, थल, वायु को की अपनी मनमानी ।मैं पृथ्वी,सुनाती हूं अपनी जुबानी। उत्सर्जन जहरीली गैसों का, औद्योगिकरण…

घर वापसी- राजेश पाण्डेय वत्स

घर वापसी नित नित शाम को, सूरज पश्चिम जाता है। श्रम पथ का जातक फिर अपने घर आता है।  भूल जाते हैं बातें थकान और तनाव की ,अपने को जब जबपरिवार के बीच पाता है।  पंछियों की तरह चहकतेघर का हर सदस्य,घर का छत…

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गजल का अर्थ क्या है व इसके नियम / ग़ज़ल कैसे लिखें ( How to write GAZAL)

यहाँ हम आपको " ग़ज़ल कैसे लिखें/गजल का अर्थ क्या है व इसके नियम क्या हैं " के बारे में बताने वाले हैं जिसे विभिन्न माध्यम से हमने संग्रहित किया है .

दोहा छंद विधान व प्रकार

दोहा छंद विधान व प्रकार – प्रदीप कुमार दाश “दीपक” “दोहा” अर्द्धसम मात्रिक छंद है । इसके चार चरण होते हैं। विषम चरण (प्रथम तथा तृतीय) में १३-१३ मात्राएँ और सम चरण (द्वितीय तथा चतुर्थ) में ११-११ मात्राएँ होती हैं।…

छंदों की प्रारंभिक जानकारी

छंदों की प्रारंभिक जानकारी छन्द क्या है? यति, गति, वर्ण या मात्रा आदि की गणना के विचार से की गई रचना छन्द अथवा पद्य कहलाती है। चरण या पद –  छन्द की प्रत्येक पंक्ति को चरण या पद कहते हैं।…

हाइकु

सायली कैसे लिखें (How to write SAYLI)

सायली रचना विधान : सायली कैसे लिखें उदाहरण*= इश्क मिटा गया बनी बनायी हस्ती बिखर गया आशियाँ.. *© शिरीष देशमुख* तुझे याद नहीं मैं वहीं बिखरा छोडा जहां तुने..  © शिरीष देशमुख Post Views: 95

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सेदोका कैसे लिखें (How to write SEDOKA)

सेदोका कैसे लिखें (How to write SEDOKA) सेदोका रचना विधानसेदोका 05/07/07 – 05/07/07 वर्णक्रम की षट्पदी – छः चरणीय एक प्राचीन जापानी काव्य विधा है । इसमें कुल 38 वर्ण होते हैं , व्यतिक्रम स्वीकार नहीं है । इस काव्य…

वे है मेरे गुरु जी-रोहित शर्मा ‘राही’

भारत के गुरुकुल, परम्परा के प्रति समर्पित रहे हैं। वशिष्ठ, संदीपनि, धौम्य आदि के गुरुकुलों से राम, कृष्ण, सुदामा जैसे शिष्य देश को मिले। डॉ. राधाकृष्णन जैसे दार्शनिक शिक्षक ने गुरु की गरिमा को तब शीर्षस्थ स्थान सौंपा जब वे…