शीत/ठंड पर हाइकु
शीत/ठंड पर हाइकु [1]शीत प्रदेशबरस रही चाँदीधूप बीमार । [2]शीत लहरकँपकपाते होंठहँसे धुनियाँ । [3]बैरन शीतप्रीतम परदेशखुशियाँ सुन्न । [4]मुस्काती धुँधसूरज असहायजीवन ठप्प । [5]ठण्ड में धूपदेती गरमाहटज्यों माँ की गोद । अशोक दीप✍️जयपुर
शीत/ठंड पर हाइकु [1]शीत प्रदेशबरस रही चाँदीधूप बीमार । [2]शीत लहरकँपकपाते होंठहँसे धुनियाँ । [3]बैरन शीतप्रीतम परदेशखुशियाँ सुन्न । [4]मुस्काती धुँधसूरज असहायजीवन ठप्प । [5]ठण्ड में धूपदेती गरमाहटज्यों माँ की गोद । अशोक दीप✍️जयपुर
हाइकु- द्वितीय शतक १.सत्ता का पेड़काग बनाए नीड़कोयल चूजे२.फाल्गुन संध्याबूँटे लिए बालिकाजमी चौपाल३.नदी का घाटस्नान भीड़ में वृद्धपोटली भय४.जल की प्याऊसिर पर पोटलीप्यासी बुढ़िया५.विवाहोत्सवचौपाल में मध्यस्थसिर पे बागा६.नीम की छाँवबुढ़िया चारपाईपड़े बताशे७शहरी पथनग्न है फुटपाथवस्त्रों में श्वान८.चाँदनी रातबाराती की आतिशछान में आग९.छान का घररखे बया ने अण्डेगिलहरियाँ१०.अभयारण्यछटपटाए मृगबाघ की मूर्ति११.बसंत मेघढोल बजाए ओलाटीन छप्पर१२.गृह वाटिकापेड़ … Read more
हाइकु शतक १.खेत में डेराहाथ में मोटी रोटीदूध की डोली२तेल बिनौरीसिर पर छबड़ीगीत गुंजन३होली के रंगचौपाल पर ताशचंग पे भंग४.नीम का पेड़वानर अठखेलीदंत निंबोली५सम्राट यंत्रधूप घड़ी देखताविद्यार्थी दल६संग्रहालयकांँच बाँक्स में ‘ममी’उत्सुक छात्रा७गुलाब बागपैंथर पिँजरे मेंकूदे वानर८मोती मंगरीतोप पे लेते सेल्फीसैलानी बाला९विजय स्तंभसैलानी लेते फोटोपद्मिनी ताल१०.पुष्कर मेलाबैलगाड़ी में बैठेविदेशी बाला११आना सागरकीकर छाँव बैठारेत पे मृग१२सिंधु का … Read more
हाइकु अर्द्धशतक भाग 9 ४०१/शम्मी के पेड़धनिष्ठा वसु व्रतमंगल स्वामी ४०२/मंडलाकारसौ तारे शतभिषाराहु की दशा। ४०३/ रोपित करेंपूर्व भाद्रपद मेंआम्र का वृक्ष। ४०४/मांस का दानउत्तरा भाद्रपदपूजा निम्ब के । ४०५/कांसे का दानरेवती पूषा व्रतमहुआ पूजा। ४०६/श्रीराम जन्मअभिजीत जातकहै भाग्यशाली । ४०७/ सांध्य का ताराशुक्र बन अगुआलड़े अंधेरा । ४०८/तरू की मुट्ठीधंस चली धरा मेंबचाने … Read more
हाइकु अर्द्धशतक ३५१/ धरा की तापहरते मौन वृक्षतप करते ३५२/ झुलस जायेतन मन जीवनऐसी तपन। ३५३/ है ऐसी धुपनैन चौंधिया जायेतेजस्वरूप । ३५४/ लू की कहरखड़ी दोपहर में धीमा जहर ३५५/मेघ गरजेबिजली सी चमकेरूष्ट हो जैसे । ३५६/बादल छायाएकाकार हो गयेधरा अंबर। ३५७/मेघ ढाल सा।बिजली की कटारबूंदों की बौछार । ३५८/मेघ घुमड़ेबारिश की चादरधरती … Read more