तोड़ दो बंधन की जंजीरें -रमेश गुप्ता’प्रेमगीत’
तोड़ दो बंधन की जंजीरें -रमेश गुप्ता’प्रेमगीत’ Post Views: 42
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कहाँ बनाऊँ आशियां – मनीभाई नवरत्न Post Views: 63
मैं चली आलू छिलने- ईश्वर सत्ता पर कविता Post Views: 42
मशाल की मंजिल – मनीभाई नवरत्न मशाल की मंजिल :-रचनाकार:- मनीभाई नवरत्नरचनाकाल :- 16 नवम्बर 2020 ज्ञानसतत विकासशीललगनशील,है जिद्दी वैज्ञानिक Iवह पीढ़ी दर पीढ़ीबढ़ा रहा अपना आकार Iवह कल्पना करतासिद्धांत बनाता स्वयंमेवउसकी प्रयोगशाला ये दुनिया।हम क्या ?बोतल में भरी रसायनया…
इस ग़ज़ल में किसी से मिलने की आरज़ू को बयाँ किया गया है |
फिर किसी मोड़ पर वो मिल जाएँ कहीं - ग़ज़ल - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम"
वर्षा-विरहातप (१६ मात्रिक मुक्तक ) कहाँ छिपी तुम,वर्षा जाकर।चली कहाँ हो दर्श दिखाकर।तन तपता है सतत वियोगी,देखें क्रोधित हुआ दिवाकर। मेह विरह में सब दुखियारे,पपिहा चातक मोर पियारे।श्वेद अश्रु झरते नर तन से,भीषण विरहातप के मारे। दादुर कोकिल निरे हुए…
पिता पर दोहे पिता क्षत्र संतान के, हैं अनाथ पितुहीन।बिखरे घर संसार वह,दुख झेले हो दीन।। कवच पिता होते सदा,रक्षित हों संतान।होती हैं पर बेटियाँ, सदा जनक की आन।। पिता रीढ़ घर द्वार के,पोषित घर के लोग।करें कमाई तो बनें,घर…
तिरंगा (चौपाई छंद) आजादी का पर्व मनालो।खूब तिरंगा ध्वज पहरालो।।संगत रक्षा बंधन आया।भ्रात बहिन जन मन हर्षाया।।१ राखी बाँधो देश हितैषी।संविधान संसद सम्पोषी।।राखी बाँध तिरंगा रक्षण।राष्ट्र भावना बने विलक्षण।।२ जन जन का अरमान तिरंगा।चाहे बहिन भ्रात हो चंगा।।रक्षा सूत्र तिरंगा…
शबरी के बेर(चौपाई छंद) त्रेता युग की कहूँ कहानी।बात पुरानी नहीं अजानी।।शबरी थी इक भील कुमारी।शुद्ध हृदय मति शील अचारी।।१ बड़ी भई तब पितु की सोचा।ब्याह बरात रीति अति पोचा।।मारहिं जीव जन्तु बलि देंही।सबरी जिन प्रति प्रीत सनेही।।२ गई भाग…
मात पिता पूजन दिवस दोहे सीमा पर रक्षा करे, अपने वीर जवान।मरते मान शहीद से, जीते उज्ज्वल शान।। प्रेम दिवस पर है विनय , सुनिये सभी सुजान।मात पिता को नेह दें, मन विश्वासी मान।। न्यौछावर हैं देश पर , मातृभूमि…