मैं हूं धरती
तुम हो आकाश,मैं हूं धरती नज़र उठा कर सभी ने देखा तुम्हेऔर हमेशा सेसभी ने रौंदा मुझे मिलना चाहा जब-जब तुमनेमिले तुम तब-तब मुझसे कभी बारिश बन करकभी आंधी बन करकभी चांदनीतो कभी धूप बन करमगर मैं रही वहीँ हमेशा…
तुम हो आकाश,मैं हूं धरती नज़र उठा कर सभी ने देखा तुम्हेऔर हमेशा सेसभी ने रौंदा मुझे मिलना चाहा जब-जब तुमनेमिले तुम तब-तब मुझसे कभी बारिश बन करकभी आंधी बन करकभी चांदनीतो कभी धूप बन करमगर मैं रही वहीँ हमेशा…
सच बताना सच बतानाबातें न बनानान मुंह चिढ़ानाऔर हाँ!मुझे नहीं पसंद तुम्हारा गिडगिडाना कि मेरे मरने के बादतुम्हे मेरी सदा भी आएगीकौन सी बात तुम्हे रुलाएगी मुझे पता हैमेरे मरने के बाद भीमैं थोडा बनी रहूंगी जैसे रह जाती हैखंडहर…
सूरज देता रौशनी हर कर तम का भार सूरज देता रौशनी, हर कर तम का भार।लेकर के आगोश में, करता दिन विस्तार।। नभ में लाली छा गई, लेकर नव मुस्कान।जीव-जंतु जगने लगे, जगने लगा किसान।। उदर पूर्ति करने चले, छोड़े…
प्रात नमन माता को करना (चौपाई)-बाबू लाल शर्मा "बौहरा"
फादर्स डे पिताओं के सम्मान में एक व्यापक रूप से मनाया जाने वाला पर्व हैं जिसमे पितृत्व, पितृत्व-बंधन तथा समाज में पिताओं के प्रभाव को समारोह पूर्वक मनाया जाता है। अनेक देशों में इसे जून के तीसरे रविवार, तथा बाकी देशों में अन्य दिन मनाया जाता है।
नारी रत्न अमूल्य धरा पर (चौपाई छंद) नारी रत्न अमूल्य धरा पर।ईश्वर रूप सकल सचराचर।।राम कृष्ण जन्माने वाली।सृष्टि धर्म की सत प्रतिपाली।।१.बेटी बहिन मात अरु दारा।हर प्रतिरूप मनुज उद्धारा।।नारी जग परहित तन धारी।सुख दुख पीड़ा सहे दुधारी।।२.द्वय घर की सब…
भगवान सहस्त्रबाहु अर्जुन कार्तिक मास शुक्ल सप्तमी को हुआ सहस्त्रबाहु का अवतरण।राजराजेश्वर,कार्तवीर्य,सहस्त्रार्जुन नाम,दशानन आया शरण।महाराज हैहय की दसवीं पीढ़ी में माता पद्मिनी के थे संतान।सुदशेन,चक्रावतार,सप्तद्रवीपाधि,दशग्रीविजयी थे कृतवीर्यनन्दन।1।चंद्रवंशी महाराजा कृतवीर्य के थे परमवीर चक्रवर्ती एकमात्र संतान।दत्तात्रेय से हजार हाथ का वरदान…
हरे यादों के पन्ने किया याद है कौन , हिचकियाँ मुझको आई ।गुजरे अरसे बाद , कसक हिचकोले खाई ।जिल्द पुराने झाड़ , हरे यादों के पन्ने ।अधर खिला मुस्कान , नेत्र जल मीठे गन्ने ।कुछ यादें जीवन के अमर…
प्रेम का अनुप्रास बाकी आर आर साहू, छत्तीसगढ़: ” प्रेम का अनुप्रास बाकी “ सत्य कहने और सुनने की कहाँ है प्यास बाकी।क्या विवशता को कहेंगे,है अभी विश्वास बाकी। आस्थाओं,धारणाओं,मान्यताओं को परख लो,रह गई संवेदना की आज कितनी साँस बाकी।…