Category हिंदी कविता

mother their kids

माँ के आँचल में सो जाऊँ (१६ मात्रिक)

माँ के आँचल में सो जाऊँ (१६ मात्रिक) आज नहीं है, मन पढ़ने का,मानस नहीं गीत,लिखने का।मन विद्रोही, निर्मम दुनिया,मन की पीड़ा, किसे बताऊँ,माँ के आँचल में, सो जाऊँ। मन में यूँ तूफान मचलते,घट मे सागर भरे छलकते।मन के छाले…

दोषी पर कविता

दोषी पर कविता ( १६,१४ ताटंक छंद ) सामाजिक ताने बाने में,पिसती सदा बेटियाँ क्यों?हे परमेश्वर कारण क्या है,लुटती सदा बेटियाँ क्यों? मात पिता पद पूज्य बने हैं,सुत को सीख सिखाते क्या?जिनके सुत मर्यादा भूले,पथ कर्तव्य बताते क्या? दोष तनय…

जन चरित्र की शक्ति

जन चरित्र की शक्ति भू पर विपदा आजठनी है भारी।संकट में है विश्वप्रजा अब सारी।। चिंतित हैं हर देशविदेशी जन सेचाहे सब एकांतबचें तन तन सेघातक है यह रोगडरे नर नारी।भू पर ……….।। तोड़ो इसका चक्रसभी यों कहतेघर के अंदर…

बादल पर कविता

बादल पर कविता बादल घन हरजाई पागल,सुनते होते तन मन घायल।कहीं मेघ जल गरज बरसते,कहीं बजे वर्षा की पायल।इस माया का पार न पाऊँ,क्यों बादल बिरुदावलि गाऊँ। मैं मेघों का भाट नहीं जो,ठकुर सुहाती बात सुनाऊँ।नही अदावत रखता घन से,बे…

बादलो ने ली अंगड़ाई

बादलो ने ली अंगड़ाई बादलो ने ली अंगड़ाई,खिलखलाई यह धरा भी!हर्षित हुए भू देव सारे,कसमसाई अप्सरा भी! कृषक खेत हल जोत सुधारे,बैल संग हल से यारी !गर्म जेठ का महिना तपता,विकल जीव जीवन भारी!सरवर नदियाँ बाँध रिक्त जल,बचा न अब…

काग चील हँस रहे

काग चील हँस रहे गीत ढाल बन रहे.स्वप्न साज ढह गए. पीत वर्ण पेड़ हो. झूलते विरह गये देश देश की खबर. काग चील हँस रहे. मौन कोकिला हुई. काल ब्याल डस रहे. लाश लापता सभीमेघ शोक कह गये।पीत…………….।। शून्य…

morning

सूनी सूनी संध्या भोर

सूनी सूनी संध्या भोर काली काली लगे चाँदनीचातक करता नवल प्रयोग।बदले बदले मानस लगतेरिश्तों का रीता उपयोग।। हवा चुभे कंटक पथ चलतेनीड़ों मे दम घुटता आजकाँप रहा पीला रथ रवि कासिंहासन देता आवाजझोंपड़ियाँ हैं गीली गीलीइमारतों में सिमटे लोग।बदले…………………।। गगन…

मन भँवरा नर देह

मन भँवरा नर देह भोर कुहासा शीत ऋतुतैर रहे घन मेह।बगिया समझे आपदावन तरु समझे नेह।।.तृषित पपीहा जेठ मेंकरे मेह हित शोरपावस समझे आपदाकोयल कामी चोर करे फूल से नेह वहमन भँवराँ नर देह।भोर……………..।।.ऋतु बासंती आपदासावन सिमटे नैनविरहा तन मन…

नन्हा मुन्ना करे सिफारिश

नन्हा मुन्ना करे सिफारिश( १६ मात्रिक ) मैं इधर खड़ा,तुम उधर खड़े।सब अपने स्वारथ किधर अड़े।भावि सुरक्षक बनूँ वतन का,नन्हा मुन्ना करे सिफारिश,आज नमन की है ख्वाहिश। वतन आपका मेरा भी है,निज हित चाहे,उनका भी है।नही करे जो बात वतन…

प्रीतम पाती प्रेमरस…

प्रीतम पाती प्रेमरस ( दोहा-छंद) पावन पुन्य पुनीत पल, प्रणय प्रीत प्रतिपाल।जन्मदिवस शुभ आपका, प्रियतम प्राणाधार।.प्रिय पत्नी प्रण पालती, प्राणनाथ पतिसंग।जन्मदिवस जुग जुग जपूँ, रहे सुहाग अभंग।।.प्रियतम पाती प्रेमरस, पाइ पठाई पंथ।जागत जोहू जन्मदिन, जगत जनाऊँ कंत।।.जनमे जग जो जानिए,…