Category हिंदी कविता

पर्यावरण संकट

प्रकृति से खिलवाड़ पर्यावरण असंतुलन-तबरेज़ अहमद

प्रकृति से खिलवाड़ पर्यावरण असंतुलन शज़र के शाखो पर परिंदा डरा डरा सा लगता है।ऐसी भी क्या तरक्की हुई है मेरे मुल्क में।कई शज़र के शाखाओं को काटकर और कई शज़र को उजाड़ कर शहर का शहर बसा लगता है।इन…

भोर वंदन- नवनिर्माण करें

भोर वंदन-नवनिर्माण करें ====लावणी छन्दगीत 16,14 पदांत 2==== सत्य सर्वदा अपनाएँ हम, न्योछावर निज प्राण करें।…राम राज्य आधार शिला ले,आओ नवनिर्माण करें।।… सत्य विकल तो हो सकता है, नहीं पराजय अंत मिले।झूठी चादर ओढ़े कलयुग, जयचंदों सह संत मिले।।कुपित मौलवी…

सड़क पर कविता

सड़क पर कविता है करारा सा तमाचा, भारती के गाल पर।…रो रही है आज सड़कें, दुर्दशा के हाल पर।।… भ्रष्टता को देख लगता, हम हुए आज़ाद क्यूँ?आम जनता की कमाई, मुफ्त में बरबाद क्यूँ?सात दशकों से प्रजा की, एक ही…

विश्व ही परिवार है- आर आर साहू

विश्व ही परिवार है- आर आर साहू ————— परिवार ————-ऐक्य अपनापन सुलभ सहकार है,इस धरा पर स्वर्ग वह परिवार है। मातृ,भगिनी, पितृ,भ्राता,रुप में,शक्ति-शिव आवास सा घर-द्वार है। बाँटते सुख-दुःख हिलमिल निष्कपट,है प्रथम कर्तव्य फिर अधिकार है। है तितिक्षा,त्याग,का आदर्श भी,प्रेम,…

विधाता छंद मय मुक्तक- फूल

विधाता छंद मय मुक्तक- फूल रखूँ किस पृष्ठ के अंदर,अमानत प्यार की सँभले।भरी है डायरी पूरी,सहे जज्बात के हमले।गुलाबी फूल सा दिल है,तुम्हारे प्यार में पागल।सहे ना फूल भी दिल भी,हकीकत हैं, नहीं जुमले।.सुखों की खोज में मैने,लिखे हैं गीत…