विश्व ही परिवार है- आर आर साहू

विश्व ही परिवार है- आर आर साहू

————— परिवार ————-
ऐक्य अपनापन सुलभ सहकार है,
इस धरा पर स्वर्ग वह परिवार है।

मातृ,भगिनी, पितृ,भ्राता,रुप में,
शक्ति-शिव आवास सा घर-द्वार है।

बाँटते सुख-दुःख हिलमिल निष्कपट,
है प्रथम कर्तव्य फिर अधिकार है।

है तितिक्षा,त्याग,का आदर्श भी,
प्रेम, मर्यादा सुदृढ़ आधार है।

दृष्टि जितना और जैसा देखती,
उस तरह,उतना, उसे संसार है।

नीर,पावक,वायु ये धरती,गगन,
देह सबके मेल का उद्गार है।

बोलती है दिव्य भारत-भारती,
याद रख यह विश्व ही परिवार है।

रेखराम साहू।

You might also like