हिंदी संग्रह कविता-एकता अमर रहे
एकता अमर रहे देश है अधीर रे!अंग-अंग पीर रे!वक्त की पुकार पर,उठ जवान वीर रे!दिग्-दिगंत स्वर रहे!एकता अमर रहे!!एकता अमर रहे !! गृह-कलह से क्षीण आज देश का विकास है,कशमकश में शक्ति का सदैव दुरुपयोग है।हैं अनेक दृष्टिकोण, लिप्त स्वार्थ-साध…