Category लोकप्रिय हिंदी कविता

प्रेरणा दायक कविता – आज चुकाना है ऋण तुमको अपनी माँ के प्यार का

प्रेरणा दायक कविता – आज चुकाना है ऋण तुमको अपनी माँ के प्यार का उठो, साथियो ! समय नहीं है बहशोभा-अंगार का।आज चुकाना है ऋण तुमको अपनी माँ के प्यार का॥ प्राण हथेली पर रख-रखकर, चलना है मैदान में।फर्क नहीं…

प्रेरणा दायक कविता – तुझको विजय-पराजय से क्या?

प्रेरणा दायक कविता – तुझको विजय-पराजय से क्या? चल तू अपनी राह पथिक चल, तुझको विजय-पराजय से क्या?होने दे होता है जो कुछ, उस होने का फिर निर्णय क्या? भँवर उठ रहे हैं सागर में, मेघ उमड़ते हैं अम्बर में।आँधी…

कर्तव्य-बोध-रामनरेश त्रिपाठी

कर्तव्य-बोध -रामनरेश त्रिपाठी जिस पर गिरकर उदर-दरी से तुमने जन्म लिया है।जिसका खाकर अन्न सुधा सम नीर समीर पिया है। जिस पर खड़े हुए, खेले, घर बना बसे, सुख पाए।जिसका रूप विलोक तुम्हारे दृग, मन, प्राण जुड़ाए॥ वह स्नेह की…

हिंदी संग्रह कविता-बलि पथ का इतिहास बनेगा

बलि पथ का इतिहास बनेगा बलि पथ का इतिहास बनेगामर कर जो नक्षत्र हुए हैं उनसे ही आकाश बनेगा। सह न सकें जो भीषणता को, सर पर बाँध कफन निकले थे,देख उन्हें मुस्करा कर जाते, पत्थर भी मानों पिघले थे।इस…

हिंदी संग्रह कविता-डटे हुए हैं राष्ट्र धर्म पर

डटे हुए हैं राष्ट्र धर्म पर अटल चुनौती अखिल विश्व को भला-बुरा चाहे जो माने।डटे हुए हैं राष्ट्रधर्म पर, विपदाओं में सीना ताने । लाख-लाख पीढ़ियाँ लगीं, तब हमने यह संस्कृति उपजाई।कोटि-कोटि सिर चढ़े तभी इसकी रक्षा सम्भव हो पाई॥हैं…

हिंदी संग्रह कविता-हार नहीं होती हिन्दी कविता

हार नहीं होती हिन्दी कविता धीरज रखने वालों की हार नहीं होती।लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती।एक नन्हींसी चींटी जब दाना लेकर चलती है।। चढ़ती दीवारों पर सौ बार फिसलती है।चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है।आखिर उसकी मेहनत…

परशुराम की प्रतीक्षा -रामधारी सिंह ‘दिनकर’

परशुराम की प्रतीक्षा -रामधारी सिंह ‘दिनकर’ छोड़ो मत अपनी आन, शीश कट जाए,मत झुको अनय पर, भले व्योम फट जाए। दो बार नहीं यमराज कण्ठ हरता है,मरता है जो, एक ही बार मरता है। तुम स्वयं मरण के मुख पर…

मेरी अभिलाषा है -द्वारिकाप्रसाद माहेश्वरी

मेरी अभिलाषा है -द्वारिकाप्रसाद माहेश्वरी सूरज-सा दमकूँ मैंचंदा-सा चमकूँ मैंझलमल-झलमल उज्ज्वलतारों-सा दमकूँ मैंमेरी अभिलाषा है। फूलों-सा महकूँ मैंविहगों-सा चहकूँ मैंगुंजित कर वन-उपवनकोयल-सा कुहकूँ मैंमेरी अभिलाषा है। नभ से निर्मलता लूँशशि से शीतलता लूँधरती से सहनशक्तिपर्वत से दृढ़ता लूँमेरी अभिलाषा है।…

नवीन कल्पना करो- गोपालसिंह नेपाली

नवीन कल्पना करो तुम कल्पना करो, नवीन कल्पना करो। तुम कल्पना करो। अब घिस गईं समाज की तमाम नीतियाँ,अब घिस गईं मनुष्य की अतीत रीतियाँ,हैं दे रहीं चुनौतियाँ तुम्हें कुरीतियाँ,निज राष्ट्र के शरीर के सिंगार के लिए-तुम कल्पना करो, नवीन…

हिंदी संग्रह कविता-नये समाज के लिए

नये समाज के लिए नये समाज के लिए नया विधान चाहिए।असंख्य शीश जब कटेस्वदेश-शीश तन सका,अपार रक्त-स्वेद से,नवीन पंथ बन सका।नवीन पंथ पर चलो, न जीर्ण मंद चाल से,नयी दिशा, नये कदम, नया प्रयास चाहिए।विकास की घड़ी में अब,नयी-नयी कलें…