रक्त दान पर दोहे
रक्त दान पर दोहे रक्त दान हम सब करे,तन को चंगा पाय।खुद को होवे लाभ जी,दूसर जान बचाय।। डॉक्टर हर दिन ये कहे,मानव होत महान।पर हितकारी ध्यान में,करे रक्त का दान।। जान बचे है तीन की,दान करे जब एक।भले काम…
रक्त दान पर दोहे रक्त दान हम सब करे,तन को चंगा पाय।खुद को होवे लाभ जी,दूसर जान बचाय।। डॉक्टर हर दिन ये कहे,मानव होत महान।पर हितकारी ध्यान में,करे रक्त का दान।। जान बचे है तीन की,दान करे जब एक।भले काम…
आतंक पर कुण्डलिया जल जंगल अरु अवनि पर , नर का है आतंक ।नंगा होकर नाचता , …
धूल पर दोहे पाहन नारी हो गई,पाकर पावन धूलप्रभु श्रीराम करे कृपा,काँटे लगते फूल महिमा न्यारी धूल की,केंवट करे गुहारप्रभु पग धोने दीजिए,तभी चलूँ उस पार मातृभूमि की धूल भी,होता मलय समानबड़भागी वह नर सखी,त्यागे भू पर प्रान आँगन में…
डाँ. आदेश कमार पंकज के दोहे पाई पाई जोड़ के बना खूब धनवान । संस्कार नहीं जानता कैसा तू नादान ।। करता लूट खसोट है वा रे वा इन्सान । लालच में है घूमता बिगड़ गई सन्तान ।। क्यों तू…
हिन्दी बिन्दी भूल गये बड़े बड़े हैं छंद लिखैया, सूनी किन्तु छंद चटसार|हिन्दी बिन्दी भूल गये सब, हिन्दी हिन्दी चीख पुकार||है हैं का ही अन्तर भूले, बिना गली खिचड़ी की दाल|तू तू में में मची हुई है, नोंचत बैठ बाल…
कागा की प्यास कागा पानी चाह में,उड़ते लेकर आस।सूखे हो पोखर सभी,कहाँ बुझे तब प्यास।।कहाँ बुझे तब प्यास,देख मटकी पर जावे।कंकड़ लावे चोंच,खूब धर धर टपकावे।।पानी होवे अल्प,कटे जीवन का धागा।उलट कहानी होय,मौत को पावे कागा।। कौआ मरते देख के,मानव…
धुआँ घिरा विकराल बढ़ा प्रदूषण जोर।इसका कहीं न छोर।।संकट ये अति घोर।मचा चतुर्दिक शोर।।यह भीषण वन-आग।हम सब पर यह दाग।।जाओ मानव जाग।छोड़ो भागमभाग।।मनुज दनुज सम होय।मर्यादा वह खोय।।स्वारथ का बन भृत्य।करे असुर सम कृत्य।।जंगल किए विनष्ट।सहता है जग कष्ट।।प्राणी सकल कराह।भरते दारुण आह।।धुआँ घिरा विकराल।ज्यों उगले विष व्याल।।जकड़ जगत निज दाढ़।विपदा करे प्रगाढ़।।दूषित नीर समीर।जंतु समस्त अधीर।।संकट में अब प्राण।उनको कहीं न त्राण।।प्रकृति-संतुलन ध्वस्त।सकल विश्व अब त्रस्त।।अन्धाधुन्ध विकास।आया जरा न रास।।विपद न यह लघु-काय।शापित जग-समुदाय।।मिलजुल करे उपाय।तब यह टले बलाय।।बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’तिनसुकियाकविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद Post Views: 37
वृक्ष कोई मत काटे काटे जब हम पेड़ को,कैसे पावे छाँव।कब्र दिखे अपनी धरा,उजड़े उजड़े गाँव।।उजड़े उजड़े गाँव,दूर हरियाली भागे।पर्यावरण खराब,देख मानव कब जागे।।उपवन को मत काट,कमी को हम मिल पाटे।ऑक्सीजन से जान,वृक्ष कोई मत काटे।। देते ठंडक जो हमे,करते…
विश्व पर्यावरण दिवस पर दोहे सरिता अविरल बह रही, पावन निर्मल धार ।मूक बनी अविचल चले, सहती रहती वार ।। हरी-भरी वसुधा रहे, बहे स्वच्छ जलधार ।बनी रहे जल शुद्धता, धुलते सकल विकार ।। नदियाँ है संजीवनी, रखलो इनको साफ…
पर्यावरण दूषित हुआ जाग रे मनुज जाग/सुधा शर्मा धानी चुनरी जो पहन,करे हरित श्रृंगार।आज रूप कुरूप हुआ,धरा हुई बेजार।सूना सूना वन हुआ,विटप भये सब ठूंठ।आन पड़ा संकट विकट,प्रकृति गई है रूठ।। जंगल सभी उजाड़ कर,काट लिए खुद पाँव।पीड़ा में फिर…