चुनाव का बोलबाला
हर गली में बोलबाला है।
अब वक्त बदलने वाला है।।
जो चुनाव नजदीक आ गया,
बहता दारू का नाला है।।
उन्हें वोट चाहिए हर घर से,
हर महिला इनकी खाला है।।
साम, दाम, दण्ड, भेद अपनाए,
सच की छाती पर छाला है।।
झुग्गी में नेता रोटी खाए,
समझ लो गड़बड़ झाला है।।
कल चाहे ये बलात्कार करें,
आज बहन हर एक बाला है।।
ये इतना मीठा बोल रहे हैं,
जरूर दाल में काला है।।
सिल्ला ऐसा नशा है सियासत,
नहीं कोई बचने वाला है।।
-विनोद सिल्ला
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद