मनीलाल पटेल उर्फ़ मनीभाई नवरत्न के कविता

manibhai Navratna

मनीलाल पटेल उर्फ़ मनीभाई नवरत्न के कविता एक अजब खिलखिल है जान अकेली है।मौत सहेली है।काँपती देहहवा बर्फीली है । चादर आसरा हैदहक सहारा है।दंत की किटकिटसर्द की नारा है। तन में ठिठुरन है ।मन में जकड़न है ।जग धुंधला सारज को अड़चन है । हर पल को मुश्किल है ।ठंड जिनकी कातिल है।रंग बदला … Read more