धूल पर दोहे
पाहन नारी हो गई,पाकर पावन धूल
प्रभु श्रीराम करे कृपा,काँटे लगते फूल
महिमा न्यारी धूल की,केंवट करे गुहार
प्रभु पग धोने दीजिए,तभी चलूँ उस पार
मातृभूमि की धूल भी,होता मलय समान
बड़भागी वह नर सखी,त्यागे भू पर प्रान
आँगन में सब खेलते,धूल धूसरित ग्वाल
मात यशोदा गोद ले,चुमती मोहन गाल
कृष्ण पाद रज धो रहे,बहा नैन जलधार
भक्त सुदामा है चकित,देख मित्र सत्कार
✍ सुकमोती चौहान रुचि
बिछिया,महासमुन्द,छ.ग.
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद
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