तीज पर कविता – चौपाई छंद

छंद
छंद

तीज पर कविता – चौपाई छंद _बाबूलालशर्मा,विज्ञ_

वर्षा ऋतु सावन सुखदाई।
रिमझिम मेघ संग पुरवाई।।
मेह अमा हरियाली लाए।
तीज पर्व झूले हरषाए।।

झूले पटली तरुवर डाली।
नेह डोर सखियाँ दे ताली।।
लगे मेंहदी मने सिँजारा।
घेवर संग लहरिया प्यारा।।

झूला झूले नारि कुमारी।
गाए गीत नाचती सारी।।
करे ठिठोली संग सहेली।
हँसे हँसाए तिय अलबेली।।

झूले पुरुष संग सब बच्चे।
पींग बढ़ाते लगते सच्चे।।
धीर सुजान पेड़ लगवाते।
सत्य पुण्य ऐसे जन पाते।।

धरा ओढती चूनर धानी।
गाय बया नग लगे गुमानी।।
कीट पतंग जन्मते मरते।
ताल तलैया जल से भरते।।

वर्षा सावन तीज सुहानी।
लगती है ऋतु रात रुहानी।।
विज्ञ लिखे मन की चौपाई।
मन भाई मन ही मन गाई।।


✍©
बाबू लाल शर्मा, बौहरा,’विज्ञ’
सिकंदरा, दौसा, राजस्थान

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *