हिंदी हास्य कविता संग्रह (Hasya Kavita in Hindi)

Popular Hasya Kavita in Hindi: नमस्कार पाठकों , यहां पर हमने हिंदी हास्य कविता संग्रह की है। यह हिंदी हास्य कविता (Hindi Hasya Kavita) बहुत ही प्रसिद्ध कवियों द्वारा रचित है। उम्मीद करते हैं आपको यह हास्य कविता (hindi funny poem) पसंद आयेगी। इन्हें आगे शेयर जरूर करें।

हिंदी हास्य कविता

हिंदी हास्य कविता संग्रह (Hasya Kavita in Hindi)
HINDI KAVITA || हिंदी कविता

कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ

प्रकृति बदलती क्षण-क्षण देखो,
बदल रहे अणु, कण-कण देखो
तुम निष्क्रिय से पड़े हुए हो
भाग्य वाद पर अड़े हुए हो।।

छोड़ो मित्र ! पुरानी डफली,
जीवन में परिवर्तन लाओ
परंपरा से ऊंचे उठ कर,
कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ ।।

जब तक घर मे धन संपति हो,
बने रहो प्रिय आज्ञाकारी
पढो, लिखो, शादी करवा लो ,
फिर मानो यह बात हमारी।।

माता पिता से काट कनेक्शन,
अपना दड़बा अलग बसाओ
कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ।।

करो प्रार्थना, हे प्रभु हमको,
पैसे की है सख़्त ज़रूरत
अर्थ समस्या हल हो जाए,
शीघ्र निकालो ऐसी सूरत।।

हिन्दी के हिमायती बन कर,
संस्थाओं से नेह जोड़िये
किंतु आपसी बातचीत में,
अंग्रेजी की टांग तोड़िये।।

इसे प्रयोगवाद कहते हैं,
समझो गहराई में जाओ
कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ

कवि बनने की इच्छा हो तो,
यह भी कला बहुत मामूली
नुस्खा बतलाता हूं, लिख लो,
कविता क्या है, गाजर मूली

कोश खोल कर रख लो आगे,
क्लिष्ट शब्द उसमें से चुन लो
उन शब्दों का जाल बिछा कर,
चाहो जैसी कविता बुन लो

श्रोता जिसका अर्थ समझ लें,
वह तो तुकबंदी है भाई
जिसे स्वयं कवि समझ न पाए,
वह कविता है सबसे हाई

इसी युक्ती से बनो महाकवि,
उसे “नई कविता” बतलाओ
कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ

चलते चलते मेन रोड पर,
फिल्मी गाने गा सकते हो
चौराहे पर खड़े खड़े तुम,
चाट पकोड़ी खा सकते हो |

बड़े चलो उन्नति के पथ पर,
रोक सके किस का बल बूता?
यों प्रसिद्ध हो जाओ जैसे,
भारत में बाटा का जूता

नई सभ्यता, नई संस्कृति,
के नित चमत्कार दिखलाओ
कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ

पिकनिक का जब मूड बने तो,
ताजमहल पर जा सकते हो
शरद-पूर्णिमा दिखलाने को,
‘उन्हें’ साथ ले जा सकते हो

वे देखें जिस समय चंद्रमा,
तब तुम निरखो सुघर चांदनी
फिर दोनों मिल कर के गाओ,
मधुर स्वरों में मधुर रागिनी |
( तू मेरा चांद मैं तेरी चांदनी ..

आलू छोला, कोका-कोला,
‘उनका’ भोग लगा कर पाओ |
कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ|

  • काका हाथरसी

मुझको सरकार बनाने दो

जो बुढ्ढे खूसट नेता हैं, उनको खड्डे में जाने दो
बस एक बार, बस एक बार मुझको सरकार बनाने दो।

मेरे भाषण के डंडे से
भागेगा भूत गरीबी का।
मेरे वक्तव्य सुनें तो झगडा
मिटे मियां और बीवी का।

मेरे आश्वासन के टानिक का
एक डोज़ मिल जाए अगर,
चंदगी राम को करे चित्त
पेशेंट पुरानी टी बी का।

मरियल सी जनता को मीठे, वादों का जूस पिलाने दो,
बस एक बार, बस एक बार, मुझको सरकार बनाने दो।

जो कत्ल किसी का कर देगा
मैं उसको बरी करा दूँगा,
हर घिसी पिटी हीरोइन की
प्लास्टिक सर्जरी करा दूँगा;

लडके लडकी और लैक्चरार
सब फिल्मी गाने गाएंगे,
हर कालेज में सब्जैक्ट फिल्म
का कंपल्सरी करा दूँगा।

हिस्ट्री और बीज गणित जैसे विषयों पर बैन लगाने दो,
बस एक बार, बस एक बार, मुझको सरकार बनाने दो।

जो बिल्कुल फक्कड हैं, उनको
राशन उधार तुलवा दूँगा,
जो लोग पियक्कड हैं, उनके
घर में ठेके खुलवा दूँगा;

सरकारी अस्पताल में जिस
रोगी को मिल न सका बिस्तर,
घर उसकी नब्ज़ छूटते ही
मैं एंबुलैंस भिजवा दूँगा।

मैं जन-सेवक हूँ, मुझको भी, थोडा सा पुण्य कमाने दो,
बस एक बार, बस एक बार, मुझको सरकार बनाने दो।

श्रोता आपस में मरें कटें
कवियों में फूट नहीं होगी,
कवि सम्मेलन में कभी, किसी
की कविता हूट नहीं होगी;

कवि के प्रत्येक शब्द पर जो
तालियाँ न खुलकर बजा सकें,
ऐसे मनहूसों को, कविता
सुनने की छूट नहीं होगी।

कवि की हूटिंग करने वालों पर, हूटिंग टैक्स लगाने दो,
बस एक बार, बस एक बार, मुझको सरकार बनाने दो।

ठग और मुनाफाखोरों की
घेराबंदी करवा दूँगा,
सोना तुरंत गिर जाएगा
चाँदी मंदी करवा दूँगा;

मैं पल भर में सुलझा दूँगा
परिवार नियोजन का पचड़ा,
शादी से पहले हर दूल्हे
की नसबंदी करवा दूँगा।

होकर बेधड़क मनाएंगे फिर हनीमून दीवाने दो,
बस एक बार, बस एक बार, मुझको सरकार बनाने दो।
बस एक बार, बस एक बार, मुझको सरकार बनाने दो।

  • अल्हड़ बीकानेरी

बस में थी भीड़

बस में थी भीड़ 
और धक्के ही धक्के, 
यात्री थे अनुभवी, 
और पक्के। 

पर अपने बौड़म जी तो 
अंग्रेज़ी में 
सफ़र कर रहे थे, 
धक्कों में विचर रहे थे । 
भीड़ कभी आगे ठेले, 
कभी पीछे धकेले । 
इस रेलमपेल 
और ठेलमठेल में, 
आगे आ गए 
धकापेल में । 

और जैसे ही स्टाप पर 
उतरने लगे 
कण्डक्टर बोला- 
ओ मेरे सगे ! 
टिकिट तो ले जा ! 

बौड़म जी बोले- 
चाट मत भेजा ! 
मैं बिना टिकिट के 
भला हूं, 
सारे रास्ते तो 
पैदल ही चला हूं ।

  • अशोक चक्रधर

मैं बत्तीसी लाया

आज शाम अंकल जी निकले
बनठन जब महफ़िल में पहुँचे।
हस हस कर वो स्वागत करते
जनम दिन का बधाई भी लेते।


केक सजे, गुब्बारे सजे
बच्चे ले रहे है खूब मजे
बच्चे ले एक आंटी आई
गुब्बारे को खींच लगाई।


हुआ अजीबो गरम् माहौल
गिराअंकल चढ़ गया खौफ
बत्तीसी उनका हो गई गुम
अंकल का सिटी पिट्टी गुम।


तभी चूहों की रैली निकली
अंकल के ले गए बत्तीसी।
मुन्ना अंकल जी को उठाया
पचका चेहरा,वो शरमाया।


बजने लगी  तालियां खूब
जनम दिन में ऐसी हुई चूक
मुन्ना भागा भागा आया
एक करिश्मा वो बतलाया।


मुक्का दे चूहों को छकाया
वापस मैं बत्तीसी लाया।।


माधुरी डड़सेना
न .प. भखारा छ. ग.

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