हास्य कविता-शादी की सालगिरह

हास्य कविता-शादी की सालगिरह

kavita

आते ही शादी की सालगिरह
पत्नी जी मुस्काई
कहने लगी
मेरे हमसफर आपको बधाई

पति महोदय बधाई पाकर
सर खुजाने लगे
झंडू बाम सर में लगाने लगे

पत्नी बोली
ख़ुशी के दिन आपको भला
क्या हो जाता है
बधाई देने पर
सर दर्द उमड़ आता है

पति बोले-
अरे भाग्यवान
शादी के लिए
मुश्किल से धन जुटाया था
बैंड बाजे बाराती में
धन लुटाया था

कर्ज का बोझ अभी तक
उतार नहीं पाया हूँ
तेरे लिए सबकुछ ख़रीदा
मेरे लिए एक पतलून तक
नहीं ले पाया हूँ

कभी जन्म दिन
कभी करवाचौध
कभी त्यौहार आ जाते हैं
तू क्या जाने
सारे पैसे खर्च हो जाते हैं

जीवन संगनी जी
शादी की साल गिरह की
तारीख बता रही हो
प्यार कम
ख्वाइश ज्यादा बता रही हो

तुम ही बताओ
महंगाई के जमाने में
सालगिरह को हम कैसे बनाएंगे
तुम्हे चाहिए नई साड़ी
हम तो झंडू बाम ही लगाएंगे

राजकिशोर धिरही
तिलई,जाँजगीर छत्तीसगढ़

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