जीवन उथल पुथल कर देगा

जीवन उथल पुथल कर देगा

पल भर का सम्पूर्ण समागम ,
जीवन उथल पुथल कर देगा।
तुम चाहे जितना समझाओ,
पर यह भाव विकल कर देगा।


1.
आँखो  में  आँखो  की भाषा ,
लिखना पढ़ना रोज जरा सा।
सपनों  का   सतरंगी    होना,
देख चाँद सुध बुध का खोना।
थी अब तक जो बंद  पंखुडी,
उसको फूल कवल कर देगा।
तुम चाहे जितना समझाओ,
पर यह भाव विकल कर देगा।


2.
सर्द हवा का तरुणिम झोका,
बढ़ता कंपन  जाये न  रोका।
साँसो से  गरमी  का मिलना,
बातों में नरमी  का  खिलना।
उस  पर यह स्पर्श  नवाकुल
मन की प्यास प्रवल कर देगा।
तुम चाहे जितना समझाओ,
पर यह भाव विकल कर देगा।
3.
पारस   से  लोहा  छू  जाना  ,
सोना तप कुन्दन  बन जाना।
सम्वादों का मौलिक परिणय,
एहसासों का लौकिक निर्णय।
सरिता का सागर से मिलना,
तन को ताज महल कर देगा।
तुम चाहे जितना समझाओ,
पर यह भाव विकल कर देगा।
पल भर का सम्पूर्ण समागम,
जीवन उथल पुथल कर देगा।


 अपर्णा सिंह सरगम

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

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