हे नटनागर हे गिरधारी – भजन अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम “
कंचन कर दो काया मेरी , हे नटनागर हे गिरधारी
चरण कमल में ले लो मुझको , पावन हो फुलवारी
नंदनंदन मुझे चरण में ले लो , हो जाऊं बलिहारी
निर्धन पर हो दया प्रभु तेरी , दीनन के हितकारी
अहंकार से मुझे बचाना . रहूँ मैं चरण तुम्हारी
चन्दा सा तुम मुझे पावन कर दो , मैं तुम पर बलिहारी
मात – पिता को शीश नवायें , ऎसी हो नियति हमारी
धर्म मार्ग पर बढ़ता जाऊं , कृपा करो गिरिधारी
सत्कर्म राह दिखलाओ कान्हा , कृपा करो बनवारी
सरिता सा मुझे पावन कर दो , हे दीनन हितकारी
माया मोह से मुक्त करो प्रभु , हे प्रभु कृष्ण मुरारी
तेरी महिमा के गुण गाऊँ , हे नटनागर हे गिरिधारी
तेरा रूप मनोहर कान्हा , हे ग्वालन हितकारी
वंशी की धुन सभी को भाये , हे मनमोहन हे गिरिधारी
भक्ति मार्ग पर ले लो मुझको , तुम पर मैं बलिहारी
जीवन पावन कर दो मेरा , हे प्रभु कृष्ण मुरारी
मोक्ष मार्ग पर लाओ मुझको. मैं तुम पर बलिहारी
कंचन कर दो काया मेरी , हे नटनागर हे गिरधारी