हे शारदा तुलजा भवानी (सरस्वती-वंदना)

हे शारदा तुलजा भवानी (सरस्वती-वंदना)

सरस्वती
मां शारदा
  • तमसो मा ज्योतिर्गमय* हरिगीतिका

हे शारदा तुलजा भवानी, ज्ञान कारक कीजिये।…
अज्ञानता के तम हरो माँ, भान दिनकर दीजिये।…

है प्रार्थना नवदीप लेकर, चल पड़े जिस राह में।
सम्मान पग चूमें पथिक के, हर खुशी हो बाँह में।।
उत्तुंग पथ में डाल डेरा, नभ क्षितिज की चाह में।
मन कामना मोती चमकते, चल चुनें हम थाह में।

जो अंधविश्वासी बनें हैं, मूढ़ की सुध लीजिये।…
अज्ञानता के तम हरो माँ, भान दिनकर कीजिये।…

सारांश सुखमय सा लिए जन, त्याग दें छल द्वेष को।
पट मन तिमिर को मूल मेंटे, ग्राह्य ग्राहक शेष को।
विज्ञान का वरदान जानें, अंक से अवधेश को।
सत्कर्म साधक मर्म ज्ञानी, भा रहे रत्नेश को।

उत्थान जन कल्याण कर शिव, नाथ हाला पीजिये।…
अज्ञानता के तम हरो माँ, भान दिनकर कीजिये।…

आरोग्य सेवक स्वस्थ होंगे, लाभप्रद तन योग से।
तज तामसिक भोजन रहेंगे, मुक्त नाशक रोग से।
संज्ञान अधिकारी रखे तब, दूर शोषण भोग से।
ज्ञानेंद्र बन इतिहास गढ़ता, देखिये संजोग से।

सत्संग की हो बारिशें तो, प्रेमपूर्वक भीजिये।…
अज्ञानता के तम हरो माँ, भान दिनकर कीजिये।…

=== डॉ ओमकार साहू मृदुल===

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *