शारदे माँ पर कविता

शारदे माँ पर कविता

kavita-bahar-hindi-kavita-sangrah
माघ शुक्ल बसंत पंचमी Magha Shukla Basant Panchami
सम्बंधित रचनाएँ


(1)
हे शारदे माँ ज्ञान के,भंडार झोली डार दे।
आये हवौं मँय द्वार मा,मन ज्योति भर अउ प्यार दे।।
हे हंस के तँय वाहिनी,अउ ज्ञान के तँय दायिनी।
हो देश मा सुख शांति हा,सुर छोड़ वीणा वादिनी।।

(2)
आ फूँक दे स्वर तान ला,जग में सदा गुनगान हो।
हे मातु देवी शारदे,माँ मान अउ सम्मान हो।।
मँय मूढ़ अज्ञानी हवँव,कर जोर बिनती मोर हे।
आ कंठ मा तँय बास कर,माँ ये कृपा अब तोर हे।।

(3)
रद्दा मिले सत् ज्ञान के,सद् बुद्धि व्यवहारी जगा।
मन के सबो सन्ताप ला,घनघोर अँधियारी भगा।।
माता तहीं हस मोर ओ,मँय छोड़ के नइ जाँव ओ।
तोरे चरन के रज धरौं,अउ तोर गुन ला गाँव ओ।।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
छंदकार:-
बोधन राम निषादराज”विनायक”
सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम(छ.ग.)
All Rights Reserved@bodhanramnishad

You might also like