Category: हिंदी कविता

  • तुम्हारे होने का अहसास

    तुम्हारे होने का अहसास

    तुम आसपास नहीं होते
    मगर 
    आसपास होते हैं
    तम्हारे होने का अहसास
    मन -मस्तिष्क में संचित
    तुम्हारी आवाज
    तुम्हारी छवि
    अक़्सर
    हूबहू
    वैसी-ही
    बाहर सुनाई देती है
    दिखाई देती है
    तत्क्षण
    तुम्हारे होने के अहसास से भर जाता हूँ
    धड़क जाता हूँ
    कई बार खिड़की के पर्दे हटाकर
    बाहर देखने लग जाता हूँ
    यह सच है 
    कि तुम नहीं होते
    पर
    पलभर के लिए
    तुम्हारे होने जैसा लग जाता है
    लोगों ने बताया
    यह अमूमन 
    सब के साथ होता है
    किसी के न होने पर भी
    उसके होने का अहसास…
    — नरेन्द्र कुमार कुलमित्र

    कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद

  • सुकमोती चौहान के हाइकु

    सुकमोती चौहान के हाइकु

    सुकमोती चौहान के हाइकु

    हाइकु

    पितर पाख~
    पति की तस्वीर में
    फूलों की माला।

    पूस की रात~
    भुट्टे भून रही है
    अलाव में माँ।

    श्मशान घाट~
    कुत्ते के भौंकने से
    सहमा रामू।

    श्रृंगार पेटी~
    गौरैया नोंचे देख
    शीशा में छवि।

    गौरैया झुँड़
    चुग रहे हैं दाने~
    धूप सुगंध।

    पीपल पात
    खा रही बकरियाँ~
    वृक ताक में।

    गौ टीले पर~
    शेरनी के मुँह में
    बछड़ा ग्रीवा।

    मयूर नृत्य~
    मोबाइल देखते
    बच्चों की टोली।

    कश्ती में छेद~
    मृतकों को खोजते
    रेसक्यू टीम।

    हिना के छाप
    बच्चा के गाल पर-
    माँ फोन मग्न।

    ✍ सुकमोती चौहान रुचि

  • बेटी की पुकार

          बेटी की पुकार

    beti mahila
    बेटी की व्यथा

    पिता का मैं ख्याल रखूंगी
    तेरे कहे अनुसार मैं चलूंगी
    रूखी सूखी ही मैं खा लूंगी
    मत मार मुझे सुन मेरी मां
    मुझे धरा पर आने तो दे।।
    बोझ मैं तुमपर नहीं बनूंगी
    पढ़ लिख कर बड़ा बनूंगी
    तेरा मैं नाम रोशन करुंगी
    मत मार मुझे सुन मेरी मां
    मुझे  धरा पर आने तो दे।।
    खिलती हुई नन्ही कली हूं
    फूल बन जाने दे तू मुझको
    तेरा आंगन मैं महकाऊंगी
    मत मार मुझे सुन मेरी मां
    मुझे  धरा पर आने तो दे।।
    दहेज प्रथा  मैं मिटाऊंगी
    रूढ़िवादिता को हटाऊंगी
    हर रिश्ते प्रेम से निभाऊंगी
    मत मार मुझे सुन मेरी मां
    मुझे धरा पर आने तो दे।।

    श्रीमती क्रान्ति, सीतापुर सरगुजा छग
    कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद

  • संकल्प कविता

    संकल्प

    मेरी अंजुरी में भरे,
    जुगनू से चमकते,
    कुछ अक्षर हैं!
    जो अकुलाते हैं,
    छटपटाते हैं!
    सकुचाते हुए कहते हैं-
    एकाग्र चित्त होकर,
    अब ध्यान धरो!
    भीतर की शांति से
    कोलाहल कम करो!
    अंतर के तम को मिटाकर,
    दिव्य प्रकाश भरो!
    झंझोड़ कर जगाओ,
    सोयी हुई मानवता को,
    भटकते राहगीरों को
    सही दिशा दिखाओ!
    बुद्धत्व का बोध करो
    कुछ करो,कुछ तो करो!
    शब्दों की चुभन से,
    सचेत,सजग हुई मैं,
    फिर लिया संकल्प!
    कुछ करना होगा!

    कुछ तो करना ही होगा…..

    डॉ. पुष्पा सिंह’प्रेरणा’
    कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद

  • हिन्दी हमारी शान – भुवन बिष्ट

    हिन्दी हमारी शान

    14 सितम्बर हिन्दी दिवस 14 September Hindi Day
    14 सितम्बर हिन्दी दिवस 14 September Hindi Day

    हिन्दी न केवल बोली भाषा,  
                           ये हमारी शान है।
    मातृभाषा  है  हमारी,   
                            ये बड़ी महान है।।……..

    चमकते तारे आसमां के ,  
                             हैं भारत के वासी हम।
    कोई चंद्र है कोई रवि,  
                            कोई यहां भी है न कम।।
    आसमां बनकर सदा,  
                              हिन्दी मेरी पहचान है।
    हिन्दी न केवल बोली भाषा , 
                              ये हमारी शान है।।
    मातृभाषा  है  हमारी,   
                              ये बड़ी महान है।…

    पूरब है कोई पश्चिम,  
                              कोई उत्तर है दक्षिण।
    अलग अलग है बोलियां,  
                              पर एक सबका है ये मन।।
    अंग भारत के हैं सभी,  
                              पर हिन्दी दिल की है धड़कन।
    एकता में बांधे हमको, 
                              इस पर हमें अभिमान है।।
    हिन्दी न केवल बोली भाषा,  
                               ये हमारी शान है।
    मातृभाषा  है  हमारी,  
                             ये बड़ी महान है।।…

    बने राष्ट्रभाषा बनी राजभाषा, 
                             मातृभाषा भी बनी,
    आओ इसको हम संवारें,  
                             हिन्दी के हम हैं धनी।
    गर्व हिन्दी पर है हमको,  
                            एकता में जोड़े सबको।
    आंकते कम हैं इसे जो,  
                             वे बड़े नादान हैं।।
    हिन्दी न केवल बोली भाषा, 
                              ये हमारी शान है।
    मातृभाषा  है  हमारी,  
                               ये बड़ी महान है। । 

                                         …..भुवन बिष्ट
                                  रानीखेत (उत्तराखण्ड)