Category: हिंदी कविता

  • है नमन देश की माटी को -राजेश पाण्डेय अब्र

    है नमन देश की माटी को

    विश्वजीत है स्वंत तिरंगा

    तीन रंगों की अमृत गंगा
    सरफ़रोश होता हर जन मन 
    मत लेना तुम इससे पंगा,

    ऊर्ज समाहित सैन्य बलों में

    जन,  धन लेकर खड़े पलों में
    ऊर्जा  का  संचार  देश  में
    प्रश्न खड़े अनुत्तरित हलों में,

    सबल करे नेतृत्व देश का

    अभिमानी हो नहीं द्वेष का
    वक़्त पड़े सर कलम कर सके
    गद्दारी  यूति  परिवेश का,

    है नमन देश की माटी को

    वतनपरस्ती परिपाटी को
    शूर वीर से देश लबालब
    कर चंदन माथे माटी को.

    राजेश पाण्डेय अब्र
       अम्बिकापुर

  • प्रेम का सागर है माँ – सुन्दर लाल डडसेना मधुर

    यहाँ माँ पर हिंदी कविता लिखी गयी है .माँ वह है जो हमें जन्म देने के साथ ही हमारा लालन-पालन भी करती हैं। माँ के इस रिश्तें को दुनियां में सबसे ज्यादा सम्मान दिया जाता है।

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    माँ पर कविता

    प्रेम का सागर है माँ

    ममता की मूरत,प्रेम का सागर है माँ।
    सब कुछ धारण करे,ऐसा गागर है माँ।
    घर घर में रोशन करे,नव सबेरा है माँ।
    प्रेम से बसने वाली,घर का बसेरा है माँ।
    प्रेम,त्याग,दया का,संगम त्रिवेणी है माँ।
    पवित्रता का मंदिर,बुलंदियों की द्रोणी है माँ।
    अटल में हिमालय,फूलों सी कोमल है माँ।
    गीतकार का गीत, शायर की ग़ज़ल है माँ।
    ममता की रेवड़ी बाँटती,आशीषों की बरसात है माँ।
    कुदरत का नया करिश्मा,उत्तम जात है माँ।
    उपवन का मदमस्त महकता,सुन्दर गुलाब है माँ।
    राज सीने में छिपाने वाली,सीप सैलाब है माँ।
    कवि की आत्मा की,गहराई नापने वाली कविता है माँ।
    प्रेम के झरोखे में,झरने वाली सरिता है माँ।
    रिश्तों की अनोखी बंधन,बांधने वाली लता है माँ।
    प्रभु की अनोखी कृति,द्वितीय गीता है माँ।

           सुन्दर लाल डडसेना”मधुर”
    ग्राम-बाराडोली(बालसमुन्द),पो.-पाटसेन्द्री
    तह.-सरायपाली,जिला-महासमुंद(छ.ग.)
    मोब. 8103535652
           9644035652
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  • गाय सड़क पर- राजकिशोर धिरही


    गाय सड़क पर

    गाय सड़क पर देख के,हो जाते हम मौन।
    लक्ष्मी अब माने नहीं,पाले इनको कौन।।

    दुर्घटना अब रोज ही,करते मानव हाय।
    बस बाइक कैसे चले,सड़कों पर है गाय।।

    पालन पोषण बंद है,ले कर दौड़े बेत।
    गाय बैल अब चर रहें,घूम घूम कर खेत।।

    घर लगते टाइल्स ही,पशु पालन है बंद।
    बाहर से ले दूध को,कैल्शियम रहे मंद।।

    मरे कहीं पर गाय तो,बने नहीं अंजान।
    माता कहते गाय को,दे पूरा सम्मान।।

    बेजा कब्जा बढ़ गया,दिखे नहीं मैदान।
    घास फूस उगते कहाँ,जानवर परेशान।।

    राजकिशोर धिरही
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  • सायली कैसे लिखें (How to write SAYLI)

    सायली कैसे लिखें (How to write SAYLI)

    सायली रचना विधान : सायली कैसे लिखें

    हाइकु
    hindi sahityik class || हिंदी साहित्यिक कक्षा
    • सायली एक पाँच पंक्तियों और नौ शब्दों वाली कविता है |
    • मराठी कवि विशाल इंगळे ने इस विधा को विकसित किया हैं बहुत ही कम वक्त में यह विधा मराठी काव्यजगत में लोकप्रिय हुई और कई अन्य कवियों ने भी इस तरह कि रचनायें रची  ।
    •  पहली पंक्ती में एक शब्द
    •  दुसरी पंक्ती में दो शब्द
    • तीसरी पंक्ती में तीन शब्द
    • चौथी पंक्ती में दो शब्द
    •  पाँचवी पंक्ती में एक शब्द और
    • कविता आशययुक्त हो |
    • इस तरह से सिर्फ नौ शब्दों में रचित पूर्ण कविता को सायली कहा जाता हैं |
    • यह शब्द आधारित होने के कारण अपनी तरह कि एकमेव और अनोखी विधा है |
    • हिंदी में इस तरह कि रचनायें सर्वप्रथम शिरीष देशमुख की कविताओं में नजर आती हैं |

    उदाहरण*=

    इश्क

    मिटा गया

    बनी बनायी हस्ती

    बिखर गया

    आशियाँ..

    *© शिरीष देशमुख*

    तुझे

    याद नहीं

    मैं वहीं बिखरा

    छोडा जहां

    तुने.. 

    © शिरीष देशमुख

    • सायली विधा में आप देखेगें कि हाइकु की भांती हर लाइन अपने आप में सम्पुर्ण है | 
    • बातचीत अथवा दुसरी विधा की कविताओं मे जैसे लाइन होती है उस तरह से वाक्य को तोड़ कर लाइन बना देने से ही सायली नहीं होती |  
  • महंगाई -विनोद सिल्ला

     महंगाई

    महंगी  दालें  क्यों  रोज  रुलाती।
    सब्जी  दूर  खड़ी  मुंह  चढाती।।

    अब सलाद अय्याशी कहलाता है,
    महंगाई  में  टमाटर  नहीं भाता है,
    मिर्ची  बिन   खाए  मुंह  जलाती।।

    मिट्ठे फल ख्वाबों में  ही  आते  हैं,
    आमजन इन्हें नहीं खरीद पाते हैं,
    खरीदें  तो  नानी  याद  है आती।।

    कङवे करेलों के सब दर्शन करलो,
    आम अनार के फोटो सामने धरलो,
    सुनके  कीमत, भूख भाग जाती।।

    कैसे   होए   गरीबों   का  गुजारा,
    पेट  पर   पट्टी  बांधना  ही  चारा,
    पतीली  चुल्हे  पर  न  चढ पाती।।

    सिल्ला’ से मिर्च मसाले विनोद करें,
    एक आध दिन नहीं, रोज रोज करें,
    खरददारी      औकात     बताती।।

    विनोद सिल्ला, हरियाणा,

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