Category: हिंदी कविता

  • जग में तू आया मानव

    जग में तू आया मानव

    इस जग में तू आया मानव,
    कर्म सुनहरा करने को।
    फिर क्यों बैठा सड़क किनारे,
    लिए कटोरा हाथों में।
    कंचन जैसे यह सुन्दर काया
    व्यर्थ में कैसे झोंक दिया।
    आलस्य लबादा ओढ़के तूने,
    स्वाभिमान को बेच दिया।
    सक्षम  होकर  लाज  न आयी,
    बिना कर्म कुछ पाने में।
    बिना हाथ का बेबस मानव,
    देखो कर्म को आतुर है।
    बोझा ढोकर बहा पसीना,
    खूब परिश्रम करता है।
    नहीं किसी पर आश्रित वह,
    चैन की रोटी खाता है।
    स्वाभिमान का जीवन जीकर,
    औरों को प्रेरित करता है।
    जन-जन के मन में बस करके,
    वो नाम अमर कर जाता है।
                   रविबाला ठाकुर”सुधा”
                  स./लोहारा, कबीरधाम
                  मो.नं.-9993382528
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  • लोकतंत्र की हत्या

    लोकतंत्र की हत्या

    आज भी सजा था मंच
    सामने थे बैठे
    असंख्य श्रद्धालु
    गूंज रही थीं
    मधुर स्वर लहरियाँ
    भजनों की
    आज के सतसंग में
    आया हुआ था
    एक बड़ा नेता
    प्रबंधक लगे थे
    तौल-मौल में
    प्रवचन थे वही पुराने
    कहा गया ‘हम हैं संत’
    संतों ने क्या लेना
    राजनीति से
    समस्त श्रद्धालुओं ने
    किया एक तरफा मतदान
    तब उस मठाधीश को
    कितने मामलों में
    मिला जीवनदान
    भले ही हो गई
    लोकतंत्र की हत्या
    -विनोद सिल्ला©
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  • राम नवमी शुभ घड़ी आई

    राम नवमी शुभ घड़ी आई

    चैत्र शुक्ल श्री राम नवमी Chaitra Shukla Shri Ram Navami
    चैत्र शुक्ल श्री राम नवमी Chaitra Shukla Shri Ram Navami

    राम नवमी  शुभ घड़ी आई
    अवध में जन्म लिये रघुराई ।।
    राम लक्ष्मण भरत शत्रुघन
    आये जगत पति त्रिभुवन तारण ।
    बाजत दशरथ आँगन शहनाई
    अवध में जन्म लिये रघुराई ।।
    सखियाँ मिलकर मंगल गाती
    जगमग जगमग दीप जलाती
    स्वर्ग से देवियाँ  फूल बरसाई
    अवध में जन्म लिये रघुराई ।।
    तीनों मैंया    पलना झुलावे
    मुखड़ा चूम चूम लाड लड़ा वे
    चँहुदिशि  गूँजे बधाई हो बधाई ।
    अवध में जन्म लिये रघुराई ।।
    मोती लुटाती मैंया भर भर थारी
    दास दासियाँ    जाती  वारी ।
    गज मोतियन चौक     पुराई।
    अवध में जन्म लिये रघुराई ।।
    चौथे पन सुत पाये चार है
    राजा दशरथ मन खुशी अपार है
    राम नवमी शुभ घड़ी आई
    अवध में जन्म लिये रघुराई ।।
    शंख नाद कर  भोले जी आये
    संग में हनुमत वानर    लाये
    नाच नाच रिझाये रघुराई
    अवध में जन्म लिये रघुराई ।।
    कलयुग में भी आओ राम जी
    अत्याचार  मिटाओ राम जी
    कब से बैठी  है शबरी माई ।
    अवध में जन्म लिये रघुराई ।।
    रावण दुशासन से आके बचाओ
    धनुष टंकार इक बार  सुनाओ
    मीरा ” कर जोड़ मनायें रघुराई ।।
    अवध में जन्म लिये रघुराई ।

    केवरा यदु “मीरा “
    राजिम
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  • राधा की स्मृतियाँ

    राधा की स्मृतियाँ

    श्री राधाकृष्ण
    श्री राधाकृष्ण

    रतजगे हैं हमने कई किये…
    प्रतीक्षा में तुम्हारी हे प्राणप्रिये !
    प्रति स्पन्दन संग नाम तुम्हारा
    हम राधे-राधे जपा किये ।।१।।
    वो यमुना-तट का तरु-तमाल
    था विरह-स्वर में देता ताल
    स्मृति संग लय भी बंधती रही
    मम छंदों की अनुमति लिये ।।२।।
    कभी सांसें हमारी, कभी बांसुरी…
    प्रतीक्षारत् सदा से नयन-पांखुरी
    स्मृतियाँ क्षण-क्षण रुलातीं-हँसातीं
    तुम्हें कैसे बतायें ? हैं कैसे जीये ? ।।३।।
    न चाँदनी ही बिछी थी मधुवन में कहीं
    तुम्हारे मुख से जो पूनम धुली थी नहीं
    मुरली भी कर्कश स्वरों से थी बोझिल
    तान नुपुरों की सुन, माधुरी को पीये ।।४।।
    प्रातः शरद की हल्की तपन तुम
    पावस की ठण्डी फुहारी पवन तुम
    मैं तुम बिन अधूरा सदा से हे पूर्णा !
    सुख-स्वर्णिम मथुरा न भाये हिये ।।५।।
    रम्ये ! तुम्हारी प्रथम मृदुल-छुअन से
    मधुवन सम लागे मथुरा भी छन से
    पुष्पावली शोभित पुर की विभा भी
    है मुख पर निशा की तड़पन लिये ।।६।।
    स्मृतियाँ ही सार्थक सुख-साधन सदा से
    हैं नैनों में संजोये हम अश्रु-धन सदा से
    उन स्मृतियों का ही तो सहारा है राधे !
    अब कण-कण में तुम ही तुम हो प्रिये ! ।।७।।
     निमाई प्रधान ‘क्षितिज’*
              रायगढ़,छत्तीसगढ़
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  • बेटी पर दोहे -सुकमोती चौहान

    बेटी पर दोहे -सुकमोती चौहान

    १.
    बेटी होती लाड़ली,जैसे पुष्पित बाग।
    बिन बेटी के घर लगे, रंग चंग बिन फाग।। २.
    बेटी लक्ष्मी गेह की,अब तो नर लो मान।
    सेवा कर माँ बाप की,बनती कुल की शान।। ३.
    साक्षर होगी बेटियाँ,उन्नत होगा देश
    भर संस्कार समाज में,बदलेंगी परिवेश।। ४.
    बहु भी बेटी होत है,रखो न दूजा भाव
    निज बेटी सा मान दो,लाओ जी बदलाव।। ५.
    बेटी के उपकार का, मानो जी आभार
    बेटी से संसार है,बेटी से परिवार।।

    सुकमोती चौहान रुचि
    बिछिया,महासमुन्द,छ.ग.