Category: हिंदी कविता

  • प्रजातंत्र पर कविता

    प्रजातंत्र पर कविता


    जहरीला धुंआ है चारो ओर,
    मुक्त हवा नहीं है आज,
    पांडव सर पर हाथ धरे हैं,
    कौरव कर रहे हैं राज!

    समाज जकड़ा जा रहा है,
    खूनी अमरबेल के पंजों में,
    नित्य फंसता ही जा रहा है,
    भ्रष्टाचार के शिकंजों में!

    आतंक का रावण
    अट्टहास कर रहा है,
    कहने को है प्रजातंत्र,
    अधिकारों का हनन,
    कोई खास कर रहा है!

    शासन की बागडोर है,
    उनके हाथ,गुंडे-लफंगे हैं ,
    जिनके साथ!
    भ्रष्ट राजनीति के शोरगुल में,
    दबकर रह गई है,
    आमजन की आवाज़!

    पांडव सर पर हाथ धरे हैं,
    कौरव कर रहे हैं राज…..
    —-
    डा.पुष्पा सिंह’प्रेरणा’
    अम्बिकापुर।

  • सुनो एक काम करते हैं

    सुनो एक काम करते हैं

    सुनो एक काम करते हैं दोनों भाग जाते हैं
    चलेंगे उस जगह पे हम जहां सब मुस्कुराते हैं
    बहारों का हंसी मौसम जहाँ हर रोज़ रहता हो
    पपीहे पीहू पीहू के जहाँ पे गीत गाते हैं

    दूर तक फैला हो अम्बर क्षितिज सा इक नज़ारा हो
    बीच खेतों के सुंदर सा वहीं इक घर हमारा हो
    जिसके अँगने में सभी पँछी डाल पे चहचहाते हैं
    सुनो एक काम ………….

    नहीं है ये कोई सौदा,नहीं है कोई लाचारी
    सच्चा प्यार दिल में है तो करलो तुम ये तैयारी
    जानेमन न घबराओ हम तुमपे जान लुटाते हैं
    सुनो एक काम…..

    ज़रा दो हाथ हाथों में तुमसे वादा इक करना है
    ये ‘चाहत’ दिललगी सब कुछ तुम्हारे नाम करना है
    चलो न प्रेम की प्यारी सी हम बगिया सजाते हैं
    सुनो एक काम …….

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    नेहा चाचरा बहल ‘चाहत’
    झाँसी

  • स्वामी जी आपको करते हैं नमन

    स्वामी जी आपको करते हैं नमन

    स्वामी जी आपको करते हैं नमन

    स्वामी विवेकानंद
    स्वामी विवेकानंद

    स्वामी जी आपको करते हैं नमन
    स्वीकार कीजिए श्रद्धा सुमन

    वेदों का पाठ सारे जग को पढ़ाया
    दुनिया में भारत का मान बढ़ाया
    शिकागो का यादगार सम्मेलन
    स्वामी जी आपको करते हैं नमन

    युवाओं को बढ़ने का मार्ग बताया
    दीन-दुखियों को गले से लगाया
    सेवा में अर्पित किया जीवन
    स्वामी जी आपको करते हैं नमन

    रामकृष्ण परमहंस गुरु कहलाए
    नरेंद्र से विवेकानंद बनाए
    गुरु संग आपका करते वंदन
    स्वामी जी आपको करते हैं नमन

                  रमेश गुप्ता ‘प्रेमगीत’
                     सूरजपुर(छ.ग.)
                  मो.नं-9977507715

  • कुछ पल तुम्हारे साथ

    कुछ पल तुम्हारे साथ

    कुछ पल तुम्हारे साथ,
    बीते लम्हें मेरे साथ,
    उन यादों को सुन्दर रूपहले,
    आंचल में समेट कर,
    चारों तरफ से उसे ओढ़ लेती हूं,
    और महफूस-महसूस, करती हूं।
    कितनी बातें तुम्हारे साथ,
    कितनी यादें तुम्हारे साथ,
    उन यादों में लड़ना झगड़ना,
    और खुद से ही शरमा जाना।

    कितनी मीठी बातें तुम्हारी,
    कितनी यादें प्यार भरी ,
    गुनगुनी धूप सी अलसाई सी,
    वहां से हटना ही नहीं चाहती,
    आंगन से कमरों तक,
    कमरों से गलियारों तक,
    पता नहीं कितनी यादें,

    मेरे हाथों को मजबूती से ,
    पकड़ रखा है।हर मौसम में ,
    तुमने साथ दिया,
    मैंने भी सामना किया है,
    तुमने कहां मैं सिर्फ़ तुम्हारा हूं,
    तुम्हारा ही रहूंगा,
    बस उस दिन से सारे वो ,
    लम्हे मेरे पास सुरक्षित हैं।
    कुछ पल….

    श्रीमती पूनम दुबे अम्बिकापुर छत्तीसगढ़

  • हे युवा उठो चलो जागो

    हे युवा उठो चलो जागो

    हे युवा उठो चलो जागो

    स्वामी विवेकानंद
    स्वामी विवेकानंद

    कितनी बातें लिखेंगे??
    कितनी…. ईमानदारी से।
    डीजिटल हुई भावनाएँ,
    इंटरनेट की पहरेदारी से।

    कुछ बंधक है कुछ ग्रस्त,
    कुछ तो.. फसे भारी त्रस्त।
    जाने चहरे की वेदनाएँ क्यों,
    स्टेट्स के रास्ते गई व्यस्त।

    किसे फर्क पड़ता,कौन??
    किसने परोसा है आघात वज्र।
    युवा क्रांति लुप्त ना हो जायें,
    सोशल मीडिया क्षरण है बज्र।

    कुछ तो योग हो,कुछ ध्यान,
    हिमालय से उच्च गढ़ो ज्ञान।
    हे!! युवा उठो, चलो, जागो..,
    भारतवर्ष का रचे नव निर्माण।

                _✍प्राज