जाने कैसे मैं ससुराल चली जाऊंगी

जाने कैसे मैं ससुराल चली जाऊंगी

शादी
shadi

कितना मुश्किल होगा ना तुम्हें भूल जाना
यादों में तुम्हें लेके किसी और का हो जाना
एक पल के लिए भी तुझे न भूल पाऊंगी
जाने मैं कैसे ससुराल को चली जाऊंगी

छोटी छोटी बातों पर मेरा हमेशा रूठ जाना
याद आएगा मुझे तुम्हारे साथ यूं घूमने जाना
तू जो पुकारे एक बार मुझे मैं दौड़ी आऊंगी
जाने मैं कैसे ससुराल को चली जाऊंगी

प्यार में तुम्हारी मुझे वो कसमें वादे दे जाना
फिर भुला के सारे वादों को दूर हो जाना
किसी और के साथ कैसे फिर वही कसमें खाऊंगी
जाने मैं कैसे ससुराल को चली जाऊंगी

जानती हूं तेरी मजबूरी है मेरे पास न आना
मुश्किल होगा तेरे लिए भी मुझको भूल जाना
जानती हूं दर्द तेरा मैं कैसे रह पाऊंगी
जाने मैं कैसे ससुराल को चली जाऊंगी

यूं सारी समझदारी हम पर आ जाना
साथ रहने का न बचता कोई बहाना
एक पल भी मैं तेरी यादों से न जाऊंगी
जाने कैसे मैं ससुराल को चली जाऊंगी

जहां एक पल की दूरी भी था मुश्किल सह पाना
क्या मुमकिन होगा तेरे बिना रह पाना
अब कभी न मैं तुमसे मिलने आऊंगी
जाने कैसे मैं सुसराल को चली जाऊंगी

ना गलती तेरी है न मुझसे हुआ तेरा हो पाना
हो सके तो जाते जाते मुझको माफी दे जाना
अब बाबुल की में रीत निभाऊंगी
जाने कैसे मैं ससुराल को चली जाऊंगी

रीता प्रधान

दिवस आधारित कविता