जन चरित्र की शक्ति

जन चरित्र की शक्ति

कविता संग्रह
कविता संग्रह


भू पर विपदा आज
ठनी है भारी।
संकट में है विश्व
प्रजा अब सारी।।

चिंतित हैं हर देश
विदेशी जन से
चाहे सब एकांत
बचें तन तन से
घातक है यह रोग
डरे नर नारी।
भू पर ……….।।

तोड़ो इसका चक्र
सभी यों कहते
घर के अंदर बन्द
तभी सब रहते
पालन करना मीत
नियम सरकारी
भू प…………….।।

शासन को सहयोग
करें भारत जन
तभी मिटेगा रोग
सुखी हों सब तन
दिन बीते इक्कीस
मिटे बीमारी
भू …………………।।

भारत माँ की शान
बचानी होगी
जन चरित्र की शक्ति
दिखानी होगी
भारत का हो मान
जगत आभारी।
भू पर………….।।

प्यारा हमको देश
वतन के वासी
पूरे कर कर्तव्य
जगत विश्वासी
है पावन संकल्प
मनुज हितकारी।
भू पर विपदा आज
ठनी है भारी।।

बाबू लाल शर्मा *विज्ञ*
बौहरा भवन ३०३३२६
सिकंदरा,
दौसा, राजस्थान,

दिवस आधारित कविता